गिटार एक यूरोपीय वाद्य। मूलत: यह प्राच्य वाद्य सितार से विकसित हुआ है। यह हलकी लकड़ी का बना हुआ होता है जिसका निचला और ऊपर का हिस्सा सपाट होता है। इसमें छह तार होते हैं। यह उँगली से तारों को छेड़कर बजाया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यत: अकेले गायन के लिये होता रहा है पर अब यह वृंदवादन में भी प्रयोग किया जाने लगा है। इसका सबसे प्राचीन रूप स्पेनी है। इसमें पहले छह जोड़े ताँत के तारों के होते थे किंतु अब केवल छह तार ही होते हैं। स्पेन से सत्रहवीं सदी में यह सारे यूरोप में फैला और लोकगीतों के साथ इसका प्रयोग किया जाने लगा। अठारहवीं शती में अँगरेजी गिटार प्रादुर्भूत हुआ। इसका पेंदा नाशपाती के आकार का होता है और उसमें छह से लेकर चौदह तक तार होते हैं जो सिटर्न कहलाते हैं। इसका एक तीसरा रूप हवाइयन गिटार है जो आज अमरीकी लोकप्रिय गीतों के साथ प्रयोग होता है। १९३६ के आसपास से लोकगीतों के साथ विद्युत गिटार का प्रयोग होने लगा है। इसमें स्वर को विद्युत् विस्तारक के माध्यम से चाहे जितना भी ऊँचा खींचा जा सकता है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)