गार्बोग आनी (Garborg Annie) नार्वेई, १८५४-१९२४। का जन्म नार्वे के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। इन्होंने अपने चारों ओर औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप पुरानी अर्थव्यवस्था तथा उसपर आधृत ग्रामीण जीवन को छिन्न- भिन्न होते देखा। यह इनके लिए बड़ा ही कटु अनुभव था। पारिवारिक वातावरण भी सुखप्रद नहीं था। पिता ने घोर अवसाद की मन:स्थिति में शुचिता और ईश्वरभक्ति की ऐसी आदतें बना ली थी कि जो अंत में उनके विनाश का कारण हुई। अनेक कठिनाइयाँ होते हुए भी ये क्रिस्तियानिया विश्वविद्यालय में शिक्षा के लिए पहुँच गए। इन्होंने उपन्यास, कविता, नाटक, निबंध सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक रचना की। इनके बांडेस्तूदेता (Bondestudentar, 1883) नामक उपन्यास में विद्यार्थी जीवन का चित्र मिलता है। फ्रेड (Frede) नामक उपन्यास में जो सन् १८९२ में प्रकाशित हुआ, इन्होंने नार्वे के किसानों की भावात्मक तथा धार्मिक समस्याओं की व्याख्या की है जो पुरानी व्यवस्था के ्ह्रास के कारण उत्पन्न हुई थी। इनके अन्य मुख्य उपन्यास देर ब्रिक्तोम में फादरेन (Der briktom me fadern १८९९) और हीमकोमिंसन (Heimkominson) (१९०८) है। हंस ट्यूमो (Hans tumo) (the Hill Innocent) कविताओं का संग्रह है जो १८९५ में छपा। इन कविताओं में इन्होंने बीते युग के ग्रामीण जीवन का चित्र मध्ययुगीन तौर तरीकों और अंधविश्वासों की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया है। लाएरानेन (Laeraren) नामक नाटक सन् १८९६ में छपा। (तुलसीनारायण सिंह)