गार्नेट सिलिकेट से संबद्ध एक खनिज वर्ग। इस वर्ग के मुख्य खनिज निम्नलिखित है :
ग्रॉसुलर; ३ कै औ, एे२ औ३, ३ सि औ२
(Grossular; 3CaO,AI२O३, 3SiO२)
पाइरोप; ३ मैग औ, एे२ औ३, ३ सि आै२
(Pyrope; 3MgO, AI२ O३ 3SiO२)
ऐल्मैडाइन; ३ लो, औ ऐ२ आै३, ३ सि औ२
(Almandine; 3 FeO, AI२O३, 3SiO२)
स्पेसरटाइट; ३ मैं औ, ऐ२ औ३, ३सि औ२
(Spessartite; 3MnO, AI२O३, 3 SiO२)
ऐंड्रैडाइट; ३ कै औ, लो२ औ३, ३ सि औ२
(Andradite; 3CaO, Fe२O३, 3SiO२)
ऊवारोवाइट; ३ कै औ, क्रो२ औ३ सि औ२
(Uvarovite; 3CaO, Cr२O३, 3SiO२)
इस खनिज के मणिभ घन प्रणाली (Cubic system) के होते हैं और अधिकतर रौबडोडेकाहेड्रेन (Rhombdodecahedron) तथा ट्रैपाज़ोहेड्रेन (Trapezohedron) आकृति में मिलते हैं। बालू में यह छोटे बड़े कणों के रूप में पाया जाता है। रासायनिक संगठन में भिन्नता होने के कारण इन कणों के रंग भी भिन्न भिन्न होते हैं। इनका रंग अधिकतर लाल या भूरा लाल होता है, पर कुछ जातियाँ हरी, पीली तथा नारंगी रंग की भी मिलती हैं। चमक काचोपम और भाजन (fraction) असम या अनुशंखाभ (subconchoidal) होता है। कठोरता ६.५ से ७.५ तक तथा आपेक्षिक घनत्व ३.५ से ४.३ तक होता है।
ये खनिज मुख्यत: रूपांतरित शिलाओं में मिलते हैं। इनके छोटे छोटे कण नदियों और समुद्री किनारों की बालू में भी मिलते हैं। तलछटी और कुछ आग्नेय शिलाओं में भी ये पाए जाते हैं। रंग बिरंगे पारदर्शक गार्नेट रत्नों की श्रेणी में आते हैं। भारतवर्ष में गार्नेट रत्न मुख्यत: राजस्थान प्रदेश में उदयपुर, जयपुर, अजमेर और किशनगढ़ में पाए जाते हैें। भारत के अभ्रक क्षेत्रों में भी गार्नेट मिलता है। केरल और उड़ीसा के समुद्रतट की बालू में गार्नेट कण बहुतायत से मिलते हैं। इस खनिज का दूसरा उपयोग घर्षक पदार्थ के रूप में होता है। घर्षक गार्नेट के सर्वमान्य निक्षेप संयुक्तराष्ट्र अमरीका, के आडिर्नोडाक क्षेत्र में हैं।
(महाराजनारायण मेहरोत्रा.)