गान, गाना सामान्य दृष्टि से शास्त्रीय संगीतपद्धति की मुक्त रचना और गानपद्धति की संज्ञा अथवा गाना है। सस्ते प्रकार के गीतों को भी गाना कहते हैं। किंतु अमरकोश के अनुसार गीत और गान समानार्थक हैं-गीतं गानमिमे समे। गान के संबंध में लोकप्रवाद है कि स्वयंभु शिव ने रागरागांग भाषांग क्रियांगोपांग सहित गान विद्या का सर्जन किया और उसे नारद को सिखलाया और नारद के द्वारा यह गानविद्या पृथिवी पर उतरी।
गीत का कर्तृरूप गान है। गीत का संबंध रचनाविशेष से है; गान का संबंध गेयता की पद्धति अर्थात् संगीत तत्व के प्रयोगात्मक रूप से है। गानपद्धति का संबंध रस से हैं। गानपद्धति के अनेक विधिनिषेध हैं। (विशेष द्र. संगीत)। (परमेश्वरीलाल गुप्त)