गाजाउद्दीन, खाँ बहादुर फारोजजंग मुगलकालीन प्रख्यात दरबारी। कुलीज खाँ खवाज़ा आबिद का पुत्र शिहाबुद्दीन। यह औरंगजेब के यहाँ सर्वप्रथम ७० सवारों का मंसबदार हुआ। इसने हसन अली खाँ आलमगीरशाही को खोज निकाला जो उदयपुर के राणा से लड़ते लड़ते पहाड़ों में चला गया था। इसके लिए वह भरपूर पुरस्कृत हुआ। इसने दुर्गादास और सोनिंग के विद्रोह को बड़ी चतुरता से नष्ट किया जिसके प्रसादस्वरूप यह दारोगा अर्जमुकरंर नियुक्त किया गया। जुनेर के उपद्रवियों का दमन करने से इसे गाजीउद्दीन खाँ बहादुर की उपाधि से विभूषित किया गया। इसने बड़ी नृशंस वीरता से शंभाजी से राहिरी दुर्ग विजय कर फीरोजजंग की उपाधि पाई। बीजापुर की विजय का सारा श्रेय औरंगजेब ने इसी को दिया है।
इसने इब्राहीमगढ़ जीता, जिसका नाम बाद में फीरोजगढ़ रखा गया। इसकी इस जीत के फलस्वरूप हैदराबाद में घायल हो जाने पर भी औरंगजेब ने इसका मंसब सातहजारी कर दिया। इसी के प्रयास से अदौनी दुर्ग की रियासत बादशाही राज्य में मिली। शंभाजी का दमन करने उसे बीजापुर जाना पड़ा किंतु महामारी फैलने के कारण यह अंधा हो गया, फिर भी सैन्य संचालन करता रहा। देवगढ़ की विजय कर इसने सिंधिया का मालवा तक पीछा किया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद यह बरार का सूबेदार बना और एलिचपुर में रहने लगा। १७१० में इसकी मृत्यु हुई।