गया बिहार राज्य में पटना से ५५ मील दक्षिण बिहार का सर्वाधिक जनसंख्यावाला नगर (स्थिति : २४० ४९’ उ. अ. तथा ८५० १’ पू. दे.)। यह फल्गू नदी के किनारे पूर्वी रेलवे पर स्थित है। यह नगर दो भागों में विभक्त है-मुख्य या पुराना नगर और साहबगंज या नया नगर। प्राचीन नगर में विष्णुपाद मंदिर तथा अन्य पवित्र समाधियाँ हैं। नया नगर प्रशासनिक केंद्र है, जहाँ सरकारी कार्यालय, न्यायालय, औषधालय, सरकिट हाउस, डाक बँगला, रेलवे कार्यालय, गिरजाघर, पुस्तकालय, कारागार तथा विद्यालय आदि हैं।
भागवत पुराण के अनुसार त्रेतायुग के गया नामक राजा के कारण इसका नाम गया पड़ा लेकिन अधिक मानी जानेवाली कथा वायुपुराण की है जिसके अनुसार गया एक असुर था, जिसने अपनी तपस्या से यहाँ तक सिद्धि प्राप्त की कि उसे देखने और स्पर्श करनेवाले लोग स्वर्ग जाने लगे। इससे यमराज तथा देवताओं को बड़ी चिंता हुई। विष्णु के समझाने बुझाने पर उस असुर ने प्राचीन गया नगर में प्राणेत्सर्ग किया। इसपर भगवान् ने वरदान दिया कि यह स्थान संसार में पवित्रतम होगा, देवता लोग वहाँ विश्राम करेंगे तथा वह भाग गया क्षेत्र जाना जायगा और जो भी वहाँ दाहक्रिया या पिंडदान करेगा, वह अपने पूर्वजों सहित ब्रह्मलोक में जाएगा। इसी आधार पर प्रतिवर्ष हजारों हिंदू यात्री मोक्षप्राप्ति के निमित्त अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने विष्णुपाद मंदिर आते हैं। यह मंदिर इंदौर के होल्कर की पत्नी अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया है।
नगर से १४ मील पूर्व पुनावन में बौद्ध समाधियाँ हैं तथा १६ मील उत्तर में बराबर की गुफाओं (२६४-२२५ ई. पूर्व) की दीवारो पर अशोककालीन अभिलेख हैं। यहाँ हवाई अड्डा भी है।
बिहार में इसी नाम का जिला भी है जिसका क्षेत्रफल १२,३४४ किलोमीटर है। यहाँ की मुख्य उपज धान, चना गेहूँ, ईख और तेलहन हैं। यहाँ शोरा निकालने, पत्थर तथा अभ्रक की खान खोदने, चपड़ा तथा लाख तैयार करने, मिट्टी एवं पीतल के बरतन बनाने और रेशम के वस्र बुनने आदि का कार्य होता है। १९७१ में इस जिले की जनसंख्या ४४,५७,४७३ थी। (राजेंद्रप्रसाद सिंह)
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