गदाधर विभिन्न समयों में हुए पंडित, ग्रंथप्रणेता, कवि और टीकाकार। इनमें एक प्राचीन वैद्यक ग्रंथ के रचयिता हैं जिनके मत का उल्लेख भावमिश्र एवं वैद्यावाचस्पति ने किया है। यह वैदिक सूत्रों के एक प्राचीन भाष्यकार का भी नाम है जो आश्वलायन गृह्यसूत्र भाष्य और पारस्कर गृह्यसूत्र भाष्य नामक ग्रंथों की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। गदाधर भट्टाचार्य नाम के नव्यन्याय के एक प्रकांड पंडित तथा दार्शनिक ने प्रसिद्ध ग्रंथ दीधिति पर एक विस्तृत व्याख्या लिखी है जो गादाधारी नाम से प्रसिद्ध है। नव्यन्याय के ग्रंथों में इसका स्थान अत्यंत महत्व का है। इन्होंने न्याय के मौलिक तथा महत्वपूर्ण विषयों पर अन्य अनेक संस्कृत ग्रंथ रचे हैं। इनका समय प्राय: १७वीं शताब्दी माना जाता है। गदाधर चक्रवर्ती नाम के काव्यप्रकाश के एक टीकाकार भी हैं। महाप्रभु चैतन्य के अत्यंत प्रिय गदाधर पंडित नाम के एक व्यक्ति हो गए है। गदाधरदास और गदाधर भट्ट हिंदी के दो प्राचीन कवि प्रसिद्ध हैं। गदासुर की अस्थि से निर्मित गदा क ो धारण करने से विष्णु का भी एक नाम गदाधर पड़ा। वायुपुराण में विष्णु द्वारा उक्त गदा की प्राप्ति की कथा वर्णित है। गया तीर्थ में इसी नाम की एक देवप्रतिमा भी है। (रामशंकर मिश्र)