गढ़वाल उत्तर प्रदेश का एक जिला (स्थिति : २९ २६ से ३१ उ. अ. तथा ७८ १२ से ८० पू. दे.; क्षेत्रफल ५,४४० वर्ग किलोमीटर)। यह मध्य हिमालय में स्थित है जो उत्तरपूर्व में तिब्बत द्वारा घिरा है। इस असमतल पर्वतीय क्षेत्र का अधिकांश भाग सँकरी और गहरी घाटियों तथा साल, चीड़ ओक आदि के जंगलों से पूर्ण है जिनमें हाथी, चीता, तेंदुआ, भेड़िया, गीदड़ तथा रीछ पाए जाते हैं। इस जिले में हिमालय की कुछ हिमाच्छादित चोटियाँ, नंदादेवी (२५,६४५), कामत (२५,४७७), त्रिशुल (२३,३८२), बदरीनाथ (२३,२१०), दुनागिरि (२३१८१) और केदारनाथ (२२,८५३) हैं तथा गोहना की मुख्य झील है। इसमें गंगा की सहायक अलकनंदा अपनी शाखाओं सहित बहती है। कृषि केवल नदी की घाटी में केंद्रित है जहाँ गेहूँ, जौ, धान, मक्का, सरसों, मिर्च और चाय की खेती होती है। खेती के अतिरिक्त यहाँ के लोगों का पेशा चराई करना तथा टोकरी, कंबल और लकड़ी के सामान बनाना तथा पत्थर खोदना है। १९७१ में यहाँ की जनसंख्या ५,५३,०२८ थी।

यहाँ घाटी में मार्च से अक्टुबर तक कड़ी गर्मी पड़ती है तथा जाड़े में ताप बहुत ही क म रहता है। गर्मी में हिमरेखा १८,००० और जाड़े में ४,०००-५,००० की ऊँचाई पर रहती है।

इस जिले का प्रशासनिक केंद्र पौड़ी है। लैसडाउन की सैनिक छावनी, देवप्रयाग, केदारनाथ और बदरीनाथ के प्रख्यात तीर्थस्थान तथा श्रीनगर और कोटद्वारा के मुख्य बाजार हैं।

तिब्बत से यहाँ का व्यापार नीति दर्रे द्वारा होता है। अनाज और मोटे कपड़े का निर्यात तथा नमक, सोहागा, ऊन और पशुओं का आयात किया जाता है।

(राजेंद्रप्रसाद सिंह)