गजेंद्र सहजिया सिद्धों का एक अत्यंत प्रिय प्रतीक। कण्हपाद ने गजेंद्र को अविद्या का प्रतीक कहा है। चर्यापाद के एक अन्य साधक ने उसे चित्त का प्रतीक माना है। गजेंद्र को मत्त करनेवाली आसव ज्ञान आसव है। उसका सवोवर महासुख सरोवर अर्थात् गमन है। जिन दो खंभों पर वह टिका है वह संसार पाश है और उसकी शृंखला अविद्या है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)