गजनी, गजना अफगानिस्तान का प्राचीन नगर है जो अरगंदाब तथा तारनक नदियों की जलधारा पर स्थित है। यह युवान च्वाङ कथित होसीना नामक नगर है। उसके समय में यह बौद्धों को एक बहुत बड़ा केंद्र था। इस्तखरी नामक अरब भूगोलवेत्ता (१०वीं सदी ई.) ने इसे उत्तम नदियों एवं उद्योगों से परिपूर्ण बताया है। मुकदिसी नामक भूगोलवेत्ता ने इसके अधीनस्थ बहुत से कस्बों के नाम लिखे हैं जिनका इस समय पता लगाना कठिन है। गजनी के संबंध में बाबर ने लिखा है कि इसे जाबुलिस्तान कहते हैं। यह तीसरी हकलीम में हैं। यहा कृषि योग्य भूमि बहुत थोड़ी है। इसकी जलधारा में चार पाँच पनचक्कियों के लायक जल होगा। कृषि के लिये बड़ा परिश्रम करना पड़ता है। जितनी भूमि पर कृषि होती है उसके ऊपर प्रत्येक वर्ष नई मिट्टी डालनी होती है। काबुल की कृषि होती है उसके यहाँ की कृषि से अधिक आय होती है। गजनी के खुले मैदानों में हजारा तथा अफगान कबीले निवास करते हैं। बाबर ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया है कि जिन बादशाहों ने हिंदुस्तान तथा खुरासान को विजय कर लिया था उन्होंने भी इन स्थानों को छोड़कर गजनी सरीखे साधारण स्थान को क्यों अपनी राजधानी बनाए रखा।

९वीं सदी ई. के प्रारंभ में गजनी सामानी नामक ताजीक ईरानी वंश के अधीन था किंतु ९१२ ई. के बाद यहाँ के इतिहास में तुर्कों के नाम मिलने लगते हैं। ९९० ई. तक गजनी से सामानी वंश का पूर्णत: अंत हो गया और उसपर यमीनी तुर्कों ने अधिकार जमा लिया। सुबुक्तगीन इस वंश का संस्थापक था उस समय हिंदुस्तान के शाही (साहिय) वंश का राज्य हिंदूकुश तक फैला था। हिंदू शाहिय राजा जयपाल को सुबुक्तगीन की बढ़ती हुई सत्ता को रोकने का अत्यधिक प्रयत्न किया किंतु वह सफल न हो सका और सुबुक्तगीन ने लमगान तथा पेशावर के मध्य के भाग अपने राज्य में मिला लिए। उसके बाद जब महमूद ने सत्ता ग्रहण की तो उसने इसे समृद्ध बनाने का प्रयास किया और उसके समय में यह वैभव के उच्च शिखर पर था। उसके वंश के लोग ५८८ हि. (११९१ ई.तक यहाँ शासन करते रहे। इस वंश के अंत के साथ गजनी का वैभव समाप्त हो गया। (सै. अ. अ. रि.)

नगर----मध्य अफगानिस्तान के ऊँचे पठार पर ७,२८० की उँचाई पर कंदहार और काबुल की सड़क पर इनसे क्रमश: २२१ मील उ. पू. तथा ९२ द. प. गजनी नदी के किनारे स्थित काबुल प्रांत का यह प्रसिद्ध एवं प्राचीन नगर (स्थिति : ३३.४४ उ. अ. तथा ६८.१८ पू. दे.) है। यहाँ लगभग तीन महीने तक निरंतर २ या ३ हिम पड़ा रहता है। कभी कभी तो यह बहुत अधिक बर्फ से ढका रहता है।

यह कृषि तथा व्यापार का क्षेत्र है। यहाँ गेहूँ और जौ की अच्छी खेती होती है। छोटी वस्तुओं के उत्पादन के अतिरिक्त यहाँ मजीठ की विस्तृत खेती होती है। गजनी में कृषि योग्य भूमि का अभाव है, साथ ही पानी की कमी भी है। जो जल उपलब्ध है वह केवल गजनी नगर और चार पाँच अन्य गाँवों की सिंचाई के लिए ही पर्याप्त होता है। अन्य ग्रामों में भूमिगत जल की नालियों से सिंचाई होती है। गजनी के अंगूर काबुल के अंगूर से उत्तम होते हैं। खरबूजे और सेब भी यहाँ उत्तम होते हैं। नगर में दिल्ली के कुतुबमीनार सरीखे लगभग १४० ऊँचे दो मीनार हैं जिनके मध्य की दूरी लगभग १२०० है, जो महमूद की बुर्जी (Minaret) कहलाते हैं। यहाँ से एक मील दूर काबुल की सड़क पर रौजा नामक गाँव के एक बाग में प्रसिद्ध विजेता महमूद का मकबरा है। (राजेंद्रप्रसाद सिंह)