गंधमादन पर्वत एक पुराणवर्णित पर्वत जो इलावृत के पूर्व और मेरू तथा उत्तर कुरू के पश्चिम में है। इसका विस्तार उत्तर दक्षिण है। इसके दक्षिण नील और उत्तर में निषध पर्वत है। पश्चिमी सागर तक विस्तृत इसके मध्य का प्रदेश भद्रश्ववर्ष कहा जाता है। वानर यहाँ निवास करते हैं। इसे पुराणों में नरनारायण का निवास स्थान बताया गया है। इसी पर्वत पर उर्वशी के साथ पुरूरवा दस वर्ष तक रहे। वनवास काल में युधिष्ठिर भी यहाँ रहे थे। जातक कथा में कहा गया है कि वेस्संतर राजा अपनी पत्नी तथा पुत्र के साथ यहां आए थे। इस पर्वत पर सुगंध नामक एक तीर्थ है जहाँ एक शिवलिंग स्थापित है। वाणभट्ट ने गंधमादन की स्थिति हिमालय में बताई है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)