गंगानगर
- राजस्थान
प्रदेश का सर्वोत्तरी जनपद जिसके उत्तर में फीरोजपुर एवं हिसार (पू.
पंजाब), दक्षिण में बीकानेर तथा चूरू (राजस्थान), पूर्व में हिसार एवं चूरू
तथा पश्चिम में पाकिस्तान है। पहले यह बीकानेर राज्य का एक भाग था। वर्षा
की मात्रा, जलवायु तथा जलपूर्ति की दृष्टि से यह जनपद राजस्थान के रेतीले
एवं शुष्क क्षेत्र में पड़ता है इस संपूर्ण क्षेत्र में जल का धरातलीय
प्रवाह (Surface run off)
नहीं के बराबर है। संपूर्ण जनपद बृहद बालुकामय मैदान है। एकमात्र नदी
घग्गर है जिसका प्रवाह हनुमानगढ़ के पास ही रेत में समाप्तप्राय हो जाता है।
जनवरी का अधिकतम ताप २०.७० सें. तथा निम्नतम २.४० सें. रहता है। ग्रीष्म के जून महीने में अधिकतम ताप ४३० सें. तक हो जाता है किंतु गंगानगर में ५०० सें. तक की संभावना रहती है। जिले में औसत वार्षिक वर्षा ८.५८० सें. होती है और वर्षा के कुल दिन १५.२ हैं। अधिकांश वर्षा (६.६९०
सें.) जून-जुलाई-अगस्त महीनों में हो जाती है। राजस्थान में सर्वाधिक रेत
के तूफान गंगानगर जिले में ही आते हैं। ओले शायद ही कभी, दशाब्दियों में
एकाध बार, पड़ते हों। जिले की रेतीली भूमि में जलपूर्ति करने पर उत्पादन
शक्ति बहुत अधिक हो जाती है। घग्गर-घाटी की मटियार भूमि तथा वर्षा ऋतु में
भर जाने वाले तालाब तथा झीलों के तल में प्राप्य मटियार दोमट गेंहुँ एवं
चने की फसलों के लिए प्रसिद्ध हैं। न केवल भाखड़ा-नंगल-योजना के जल द्वारा
(संभाव्य सिंचनक्षेत्र ७,७०,००० एकड़), प्रत्युत हनुमानगढ़ से विकसित विशाल
राजस्थान-नहर-परियोजना द्वारा, जो विश्व में अपने ढंग की सर्वाधिक लंबी नहर
है, जनपद का सर्वागीण विकास किया जा रहा है। जिले का
गंगा-नहर-उपनिवेशक्षेत्र भारत का सबसे कोरा क्षेत्र है जहां सर्वाधिक
ट्रैक्टर प्रयुक्त हो रहे हैं। सिंचाई की वृद्धि के साथ कृषि के यांत्रिक
साधनों का अधिक उपयोग होता जा रहा है। जनपद में स्थित सूरतगढ़ फार्म एशिया
महादेश का वृहत्तम सुनियोजित ३०,६७० एकड़ का फार्म है जिसमें यांत्रिक कृषि
होती है। यह कृषिक्षेत्र प्रयोगशाला सदृश है जिसमें शुष्क प्रदेश के
उपयुक्त कृषि का विकास करने, समुन्नत बीज उत्पन्न करने, पशुओं की नस्लें
समुन्नत करने आदि के प्रयोग किए जा रहे हैं। अत: जनपद की कृषिव्यवस्था
जीविकायापन कृषि की स्थिति से निकलकर वाणिज्य कृषि की ओर तीव्र गति से
अग्रसर हो रही है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त गन्ना एवं कपास का उत्पादन बढ़
रहा है। कृषि पदार्थों पर आधारित उद्योग धंधे पनप रहे हैं। गंगानगर में
चीनी का कारखाना तथा औद्योगिक संस्थान, हनुमानगढ़ में उर्वरक कारखाना,
रायसिंह नगर में औद्योगिक, प्राविधक तथा शैक्षणिक संस्थान आदि जनपद की
विकासशीलता के सूचक हैं। भाखड़ा-नंगल-योजना द्वारा जनपद के प्रमुख स्थानों
को बिजली प्राप्त हो रही है।
- गंगानगर जनपद का प्रमुख
प्रशासकीय केंद्र तथा विकासशील नगर। इसका नामकरण बीकानेर के महाराज
गंगासिंह के नाम पर हुआ है। यह जिले के सर्वाधिक समुन्नत तथा सिंचित
कृषिक्षेत्र में स्थित होने के कारण प्रमुख व्यापारिक मंडी तथा यातायात
केंद्र हो गया है। यहाँ जनपदीय प्रशासनिक कार्यालयों तथा न्यायालयों के
अतिरिक्त कई स्नातक महाविद्यालय तथा अन्य सांस्कृतिक संस्थान हैं। यह नगर
पूर्णतया २०वीं शताब्दी की देन है। प्रारंभिक दशाब्दियों में यह अज्ञात
ग्राम रहा। लेकिन गंगा-नहर सिंचाई परियोजना द्वारा क्षेत्र में कृषि का
विकास होने के कारण इसकी जनसंख्या अधिक बढ़ गई है। यहाँ १९४५ में चीनी का
कारखाना खोला गया। यहाँ एक औद्योगिक संस्थान की भी स्थापना हुई है।
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