गंगाजल बंगाल में प्रचलित एक वस्त्र। यह गंगाजल के समान स्फटिक काषाय वस्त्र और बंगाली साड़ियों का एक प्रकार है। बँगला लोकगीतों में इस वस्त्र और साड़ी का प्राय: उल्लेख मिलता है। कृत्तिवास कृत रामायण में इसे वीर पुरूष का परिधान कहा गया है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)