्ख्राुश्चेव, निकिता सेर्ग्येयेविच सोवियत संघ के साम्यवादी दल एवं आंतर्जातिक क्रांति आंदोलन के कार्यकर्ता, जो सोवियत संघ के साम्यवादी दल की केंद्रीय समिति के प्रथम सचिव तथा सोवियत संघीय मंत्रिमंडल के अध्यक्ष थे। इनका जन्म १७ जनवरी, १८९४ को कुर्स्की प्रांत के कालीनोवोक स्थान में एक सामान्य खान मजदूर परिवार में हुआ था। बाल्यावस्था से ही इनका जीवन श्रमशील रहा। सर्वप्रथम इन्होंने चरवाहे के रूप में, तदनंतर कुछ दिनों तक विभिन्न संस्थाओं-जैसे मशीन निर्माणशाला (वर्कशॉप), मशीनी पुरजों का मरम्मती कारखाना तथा दोनेत्स्क और यूक्रेन के कोयला क्षेत्र, कोक के रासायनिक कारखाने आदि में-काम सीखा और किया।
१९१८ ई. में साम्यवादी दल में सम्मिलित हुए। तब से १९२० तक गृहयुद्ध में दक्षिणी मोर्चे पर सक्रिय भाग लिया। युद्ध के पश्चात् दनबस की खान में सहायक व्यवस्थापक के पद पर रहे। पुन: दोनेत्स्क के औद्योगिक शिक्षण संस्थान में श्रम विभाग का कार्य सीखते रहे। इस बीच वे अनेक बार दल के सचिव निर्वाचित हुए। श्रमिक विभाग का कार्यसमापन करने के पश्चात उन्होंने दल की कलिंस्की जिला समिति के पेत्रवासिक शाखा के सचिव रूप में कार्य किया तथा यूजझ्का (आजकल दोनेत्स्क) नगर की दलीय जिला समिति के संचालक बने। तत्पश्चात् कियवे के दलीय कार्य का नेतृत्व किया। सन् १९२९ में मस्कर की औद्योगिक विज्ञान परिषद में शिक्षा ली। वहाँ ये दलीय समिति के सचिव भी चुने गए। जनवरी, १९३१ से मास्को में दल का नेतृत्व करते रहे। १९३५ से १९३८ तक मास्को क्षेत्र तथा नगर दल समिति के प्रथम सचिव बनाए गए। १९३४ में दल की केंद्रीय समिति के सदस्य बने। जनवरी, १९३८ में यूक्रेन साम्यवादी दल की केंद्रीय समिति के प्रथम सचिव नियुक्त हुए। १९३८ में केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के उम्मीदवार सदस्य चुने गए तथा १९३९ में सोवियत संघ की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य। सन् १९४१ से ४५ तक चलनेवाले महान् देशभक्तिपूर्ण युद्ध में दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र, स्तालिनग्राद, दक्षिणी क्षेत्र तथा यूक्रेन के मुख्य मोरचे के लिए गठित युद्धपरिषद के विशिष्ट सदस्य नियुक्त हुए। शत्रु पक्ष से चतुर्दिक, घिरे हुए सोवियत यूक्रेन क्षेत्र के गुरिल्ला युद्ध का संचालन किया तथा जर्मन फासिस्त आक्रामकों से यूक्रेन को मुक्त कराने में बड़े जीवट का परिचय दिया। फरवरी, १९४४ में ये लेफ्टिनेंट जनरल बनाए गए। १९४७ में मार्च से दिसंबर तक सोवियत यूक्रेन की मंत्रिपरिषद् के अध्यक्ष हुए। दिसंबर, १९४७ से दिसंबर, १९४९ तक पुन: यूक्रेन की साम्यवादी दल की केंद्रीय समिति के प्रधान सचिव रहे। दिसंबर, १९४९ से मार्च, १९५२ तक साम्यवादी दल की केंद्रीय तथा मास्कोक्षेत्रीय समिति के सचिव नियुक्त हुए। १९५२ में सोवियत संघ के साम्यवादी दल की केंद्रीय समिति के सचिव तथा सभापति मंडल के सदस्य चुने गए। सिंतबर, १९५३ में ये सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के प्रधान सचिव बनाए गए। मार्च, १९५८ में ये सोवियम संघ के प्रधान हुए।
निकिता ्ख्राुश्चेव के दिखलाए पथ पर सोवियत साम्यवादी दल तथा सरकार ने सन् १९५१ में सर्वप्रथम महान राजनीतिक तथा अर्थनीतिक दिशा में वैधानिक योजनाएँ बनानी प्रारंभ की, सोवियत समाज को साम्यवाद की दिशा में तीव्र गति से संचालित किया और स्तालिन के काल में देश में जो कुछ अवैध होता था उसे समाप्त कर लेनिन के महान आदेश तथा मानक पर राष्ट्रीय और दलीय जनतंत्रवाद का पुन:स्थापन किया। सोवियत अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के पश्चात आगे चलकर औद्योगीकरण तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जनतंत्रीकरण का प्रबंध कर सोवियत संस्थाओं में सही कदम उठाया। ्ख्राुश्चेव ने अछूती तथा परती धरती पर अन्न उत्पादन के लिए लोगों को सर्वप्रथम अनुप्रेरित किया। देश की जनता के आर्थिक विकास तथा गृहनिर्माण में महान सफलता प्राप्त की। श्रमजीवी वर्ग के जीवन के भौतिक तथा सांस्कृतिक स्तर की प्रगति हुई। देश के महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों, मिलों, राजकीय सोवियत फार्मों में स्वयं जाकर नियमित रूप से मिलते थे। इस प्रकार इन्होंने नगरों तथा ग्रामों के श्रमजीवियों से घनिष्ठतम संबंध स्थापित किया। असाधारण प्रतिभाशाली नेता लेनिन के समान इनका भी मानवजीवन के विषय में गंभीर ज्ञान था।
्ख्राुश्चेव साम्यवादी दल के महान प्रचारक तथा विचारक थे। मार्क्सवादी तथा लेनिनवादी सिद्धांतों के महत्वपूर्ण विषयों पर इन्होंने रचनात्मक विकास किया। ्ख्राुश्चेव विश्वशांति के लिए, विश्व के विभिन्न देशों की समाजवादी व्यवस्था के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तथा जनमैत्री के लिए महान प्रयास करते रहे। ये विभिन्न महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में सक्रिय भाग लेते रहे। जुलाई, १९५५ में चार बड़े राष्ट्रों के प्रधानों के सम्मेलन में निकिता ्ख्राुश्चेव ने भी भाग लिया था। विश्वशांति करने, जनमैत्री बढ़ाने तथा विदेशों के राजनीतिज्ञों से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित करने के महान उद्देश्य से प्रेरित होकर ्ख्राुश्चेव ने सन १९५४ से १९६२ तक यूरोप, एशिया तथा अमरीका आदि के विभिन्न देशों की कई बार यात्राएँ कीं।
१९५९ तथा १९६० में ्ख्राुश्चेव ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्रसंघ के साधारण अधिवेशन में भाषण दिया। वहाँ इन्होंने विश्वशांति पर सोवियत संघ के साधारण अधिवेशन में भाषण दिया। विश्वशांति के हेतु सोवियत संघ की विदेशनीति पर प्रकाश डाला। १८ सितंबर, १९५९ को ्ख्राुश्चेव ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के साधारण अधिवेशन की १४वीं बैठक में आम तथा पूर्ण निरस्त्रीकरण पर प्रारूप उपस्थित किया। एक वर्ष में ही इन्होंने पुन: १३ सितंबर, १९६० को, संयुक्त राष्ट्रसंघ के साधारण अधिवेशन की १५वीं बैठक में औपनिवेशक देशों तथा जनता के स्वाधीनतादान की घोषणा में निरस्त्रीकरण के संबंध में सोवियत सरकार का वक्तव्य तथा आम और पूर्ण निरस्त्रीकरण पर मौलिक स्थिति की संधि पर अपना विचार प्रकट किया।
कम्यूनिस्ट पार्टी तथा सोवियत जनजीवन पर असाधारण स्वीकृतियों के कारण इनको तीन बार १९५४, १९५७, १९६१ में समाजवादी श्रमवीर की उपाधि प्रदान की गई। विश्वशांति की रक्षा के लिए इनकी असाधारण प्रतिभा पर मानवजाति में शांति दृढ़ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार प्रदान किया गया।
(लियो स्तेस्फान शौम्यान (लि. स्ते. शौ.))