खुसरू (खुसरौ) ईरान के सासानी वंश के दो शासकों का नाम। प्रथम खुसरू को खुसरू अनुशिखान कहते हैं। यह ५३१ ई. में शासनारूढ़ हुआ और बजंतीन नरेश जस्तीनियन प्रथम पर आक्रमण किया। शीघ्र ही दोनों में संधि हो गई। किंतु ५४० ई. में खुसरू ने अंतिओख नगर को ध्वस्त कर कालासागर और काकेशस के प्रदेशों को अपने अधिकार में कर लिया। ५६२ ई. में उसने पुन: बजंतीन पर आक्रमण किया। यह युद्ध ५७१ ई. तक चलता रहा। ५७३ ई. में उसने दारा के दुर्ग पर अधिकार किया किंतु ५७६ ई. में उसे पराजय का मुख देखना पड़ा। खुसरू एक योग्य किंतु कठोर शासक था। उसने राज्यकर व्यवस्था में सुधार किया और जरदुस्थरी की उपासना को पुनप्रतिष्ठित किया। इसके शासनकाल में पहलवी साहित्य ने प्रचुर उन्नति की। उसकी मृत्यु ५७९ ई. में हुई।

खुसरू (द्वितीय)-इसे खुसरू परवेज कहते हैं। यह प्रथम खुसरू का पौत्र था। यह बजंतीन नरेश माँरिशियस की सहायता से ५९० ई. में गद्दी पर बैठा। जब ६०२ ई. में माँरिशियस की हत्या कर दी गई तब इसने बजंतीन साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया और दक्षिणी-पश्चिमी एशिया के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लिया। ६१६ ई. में उसका मिस्र पर अधिकार हुआ। ६१७ ई. में वह कुस्तुंतुनिया के दूसरी ओर कैल्सिडोन तक जा पहुँचा। ६२३ और ६२८ ई. के बीच हेराक्लियस ने धीरे धीरे उसे दजला (Tigris) नदी तक खदेड़ दिया। बाद में उसके पुत्र कवथ द्वितीय ने उसे पदच्युत कर दिया और पीछे उसको मार भी डाला। (परमेश्वरीलाल गुप्त)