खीरी १. उत्तर प्रदेश के खीरी जिले के लखीमपुर तहसील में लखनऊ-बरेली-रेलमार्ग पर लखनऊ से ८१ मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कस्बा (स्थिति : २७ ५४ उ. अ. तथा ८० ४८ पू दे.)। इसकी जनसंख्या १०,२१० (१९९१) है यह खीरी जिले के प्रशासनिक केंद्र से तीन मील दक्षिण लखीमपुर-बलरामघाट-राजमार्ग पर स्थित।

यहाँ के जुलाहे कपड़े बुनते हैं। यह प्राचीन कस्बा है, पहले यह समुन्नत था। मध्यकाल में इसपर मुसलमानों (सैय्यदों) का आधिपत्य हो गया। सैय्यदों के पतन के बाद यह चौधरी लोगों के अधिकार में आया था जिनके चौहान वंशज पूरे परगनों के मालिक थे।

लखीमपुर के निकट होने के कारण इस कस्बे की उन्नति अवरुद्ध सी है।

२. उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसका क्षेत्रफल ७,६९१ वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या १४,८६,५९० (१९७१) है। इसके उत्तर में नेपाल, दक्षिण में शाहजहाँपुर और हरदोई जिले, पूर्व में बहराइच जिला तथा पश्चिम में शाहजहाँपुर एवं पीलीभीत जिले हैं। साधारणतया: इसका धरातल विशाल उत्थापित मैदान (Elevated plain) है जिसके अर्धोत्तर भाग में नदी नाले तथा वन हैं। नदी नालों, इनके ऊँचे कगारों तथा पुरानी बस्तियों के ढूहों के अतिरिक्त कहीं धरातलीय असमता नहीं दिखाई देती। जल का बहाव उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।

धरातल तथा जल के बहाव की दृष्टि से इस जिले को चार प्रमुख भागों में विभक्त कर सकते हैं। प्रथम, दक्षिण-पश्चिम का गोमती पार क्षेत्र जिसका पश्चिमी भाग अपेक्षाकृत नीचा, दलदली और घासवाले अनुर्वर स्थलों एवं ढाक के जंगलों से भरा है; मध्य में उपजाऊ दोमट क्षेत्र है लेकिन पूर्वांत में गोमती के तटीय भागों में बालू पड़ गया है। द्वितीय, गोमती कथना का दोआब जिसे परिहर (Parihar) कहते हैं। इसका अधिकांश भाग अपेक्षाकृत ऊँचा तथा बलुआ है लेकिन मध्य की तलहटी उपजाऊ है। तृतीय, कथना नदी से पूर्व स्थित जनपद का मध्यवर्ती क्षेत्र, जो सर्वाधिक उपजाऊ भाग है। इसमें अधिकांशत: दोमट मिट्टी पाई जाती है लेकिन नदियों के तटीय भागों में मिट्टी बलुई हो गई है। मुहम्मदी तहसील का उत्तर-पश्चिमांत तथा लखीमपुर तहसील का दक्षिण-पूर्वांत क्षेत्र नीचा तथा उपजाऊ मटियार भूमि का भाग है। चतुर्थ, ऊल नदी के उत्तर वाला क्षेत्र, जो नदी नालों से भरा है, अधिकांशत: वनाच्छादित तथा अस्वास्थ्यकर है। केवल कहीं कहीं वनों को काटकर खेती की जाती है। गोमती, ऊल, कथना तथा चौका मुख्य नदियाँ हैं।

जिले की लगभग ४.३ प्रतिशत भूमि जल से घिरी हुई है। नदियों का मार्ग परिवर्तनशीन होने के कारण उनके पुराने छोड़े हुए भागों में झीलें तथा गड्ढे बन गए हैं। जिले में मुख्यत: तीन प्रकार की मिट्टी मिलती है-नदीतट के भागों में बलुई भूर, बाँगर क्षेत्र में दोमट तथा निचले भागों में मटियार। इनके अतिरिक्त चौका के पार क्षेत्र में टापर नामक अनुर्वर मिट्टी मिलती है।

पर्वतीय भाग समीप होने के कारण यहाँ की उपोष्णकटिबंधीय जलवायु उतनी विषम नहीं हो पाती लेकिन अधिक वर्षा एवं बाढ़ आदि के कारण अस्वास्थ्यकर है। औसत वार्षिक वर्षा ४४ के लगभग होती है।

प्रशासनिक सुविधा के लिये जिला तीन तहसीलों-लखीमपुर, मुहम्मदी तथा निघासन-१७ परगनों तथा १३ थानों में बँटा है। इस जिले की गणना उत्तर प्रदेश के कम आबाद जिलों में की जाती है। जिले में कुल चार नगर तथा कस्बे हैं लखीमपुर, गोली गोकर्णनाथ, मुहम्मदी तथा खीरी। (काशीनाथ सिंह)