खिलजी, मालवा के सुलतान मालवा के तुर्क सुलतान होशंगशाह की मृत्यु के पश्चात् १४३५ ई. में गजनी खाँ शासक बना। विलासी होने के कारण उसने सारा राज काज अपने मंत्री महमूद खाँ खिलजी पर छोड़ दिया जो उसका फुफेरा भाई था। महमूद खिलजी ने राजलिप्सा से प्रेरित होकर अपने स्वामी का वध कर दिया और १४३६ ई. में स्वयं शासक बन बैठा।

महमूद खिलजी के शासनकाल में मालवा अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बना। उसने अपने राज्य का दक्षिण में सतपुड़ा पर्वतश्रेणी तक, पश्चिम में गुजरात की सीमा तक, पूर्व में बुंदेलखंड तथा उत्तर में मेवाड़ तक विस्तार किया। महमूद के पश्चात् उसका पुत्र गयासुद्दीन १४६९ ई. में सिंहासनारूढ़ हुआ। उसको उसके पुत्र नसिरूद्दीन ने विष देकर मार डाला और स्वयं १५०० ई. में गद्दी पर आरूढ़ हुआ। किंतु वह अत्यंत विलासी निकला। एक दिन वह मदिरोन्मत्त होकर मांडू के कालियादह झील में गिर पड़ा और डूबकर मर गया।

उसके पश्चात् महमूद (द्वितीय) सिंहासनारूढ़ हुआ। १५३१ ई. में गुजरात के सुलतान बहादुरशाह ने परास्त कर इस वंश का अंत कर दिया। (परमेश्वरीलाल गुप्त)