खाँ, मुहम्मद अयूब फील्डमार्शल (१९०७-१९७२ ई.) पाकिस्तान के राष्ट्रपति। अवाटावाद में १४ मई १९०७ में जन्म। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत सैंडहर्स्ट (इंग्लैंड) से सैनिक शिक्षा प्राप्तकर १९२८ में भारतीय सेना में भर्ती होकर १४वीं पंजाब रेजिमेंट में संमिलित हुए। १९३९-४५ के द्वितीय महायुद्ध में भाग लिया। १९४७ में ब्रिगैडियर बनाए गए। पाकिस्तान बनने पर वह पाकिस्तानी सेना में संमिलित हुए तथा अगले वर्ष मेजर जनरल के रूप में पूर्वी पाकिस्तान की सेना के कमांडर बनाए गए। १९५० में एडजुटेंट जनरल के पद पर उन्नति हुई। १९५१ में पाकिस्तान की सेना के प्रधान सेनापति नियुक्त हुए। तदनंतर १९५४-५६ तक पाकिस्तान सरकार के सुरक्षा मंत्री पद पर काम किया। १९५८ में उन्होंने चीफ मार्शल, ला एडमिनिस्ट्रेटर और समस्त सेना के कमांडर का भार ग्रहण किया; और उसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा को पद त्याग करने को बाध्य किया तथा स्वयं राष्ट्रपति बन बैठे और १९६६ तक इस पद पर रहे। यह काल एक प्रकार से पाकिस्तान में सैनिक शासन का काल था। इस काल में वे राष्ट्रपति के साथ साथ सुरक्षा मंत्री का भी कार्य देखते थे। उन्होंने भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ा जिसमें उनकी सेना को मुंह की खानी पड़ी। पश्चात् यहिया खाँ ने उन्हें पदत्याग करने पर विवश किया और मार्च, १९६९ में उन्हें अपने पद से हटना पड़ा। तदनंतर वे देश छोड़कर बाहर चले गए, वहीं उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने फ्रैंडस नाट मास्टर्स नाम से अपनी एक आत्मकथा लिखी थी जे १९६७ में प्रकाशित हुई। (परमेश्वरीलाल गुप्त)

खाँ हाफिज अली (उस्ताद) सुप्रसिद्ध सरोदवादक। रामपुर के स्वर्गीय उस्ताद फ़िदा हुसैन के बाद सर्वोत्कृष्ट सरोदवादक हुए। दादा गुलाम अली खाँ बंगश (काबुल) के रहनेवाले थे और वहाँ वादक के रूप में प्रसिद्ध थे। वह भारत चले आए तथा तत्कालीन संगीतज्ञों से मिलने जुलने के लिए भारत के विभिन्न भागों में यात्राएँ कीं। वह फ़र्रूख़ाबाद के नवाब के यहाँ नियुक्त थे और ग्वालियर भी गए थे। वहीं सर्वप्रथम इस काबुली वाद्ययंत्र सरोद को भारत ले आए। हाफ़िज अली के पिता का नाम उस्ताद नन्हें खाँ था जो फ़िदा हुसैन के लड़कों में से एक थे। नन्हें खाँ रामपुर आकर रहने लगे। उन्होंने हाफ़िज अली को सरोद की बारीकियाँ समझाई। उन्होंने मथुरा के गणेशी चौबे से भी कई राग और ध्रुपद की बंदिशें सीखी। रामपुर में यह उस्ताद वज़ीर ख़ाँ के शिष्य रहे।