खलीलुल्ला खाँ, यज्दी मीर कदाचित् इमाम मूसा काजिम का वंशज। यह किरमान का रहनेवाला था। यह महान साहित्यिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। इसकी लिखी पुस्तकों की संख्या ५०० बताई जाती हैं। इसी कारण इसके शिष्य भी बहुत थे। अहमदशाह बहमनी ने भी इसकी शिष्यता स्वीकार कर ली थी। इसके साहित्यिक गुणों के कारण इसके पुत्र और पौत्रों को अनेक राजाओं के यहाँ संमान प्राप्त हुआ था। ऐसा माना जाता है कि १८ वीं शताब्दी तक इसके वंशज यज्द नगर में बसे रहे। मीर खलीलुल्ला खाँ यज्दी की मृत्यु ७२७ हिजरी (७३४ई.) में हुई।