खत्री, अयोध्याप्रसाद १९वीं शती के खड़ी बोली के प्रख्यात आंदोलनकर्ता। ये मुजफ्फरपुर (बिहार) में कलक्टरी कचहरी में पेशकार थे। कहा जाता है, खड़ी बोली के प्रचार के लिए इन्होंने इतना धन खर्च किया जितना इस तरह के कामों में धनी से धनी व्यक्ति से भी आशा नहीं की जा सकती। १८८८ ई. में उन्होंने खड़ी बोली का आंदोलन नामक एक पुस्तक प्रकाशित कराई जिसमें उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि खड़ी बोली की चार शैलियाँ हैं----मौलवी शैली, मुंशी शैली, पंडित शैली और मास्टर शैली। इन चारों शैलियों के नमूने के रूप में उन्होंने दो खंडों में खड़ी बोली का पद्य नामक ग्रंथ भी प्रकाशित किया। (परमेश्वरीलाल गुप्त)