खंसा अरबी कवयित्री। इनका पूरा नाम तुमादिर विंत अम्र था। कैस कबीले के सुलेम शाख के एक परिवार में जन्म हुआ था। पिता का नाम अम्र था। इन्होंने अपने दो भाइयों और पिता की मृत्यु के वियोग में वेदनापूर्ण रचनाएँ की थीं जिनसे इन्हें ख्याति प्राप्त हुई। इनका एक दीवान १८९५ में बेरूत में प्रकाश्ति हुआ जिसका बाद में फ्रेंच में द कूपियर ने अनुवाद किया है। इस्लाम धर्म के उत्थान होने पर अपने कबीले के लोगों के साथ इस धर्म को ग्रहण कर लिया। कदीसिया की लड़ाई में इनके चार बेटे मारे गए। तब उमर ने उनके शहीद होने पर इन्हें बधाई भेजी और उनके लिये पेंशन बाँध दी। इन्हीं की तरह इनकी बेटी अम्रा भी कविताएँ लिखती थी।
इनकी मृत्यु ६४५ ई. में हुई। (परमेश्वरीलाल गुप्त.)