क्विजलिंग, विदकुन (१८८७ -१९४५ ई.) नार्वे का राजनीतिक। १८ जुलाई, १८८७ को फाइरिसडाकल में जन्म। सैनिक शिक्षा के निमित्त सैनिक स्कूल में भर्ती हुआ। १९११ में वहाँ से ग्रेज्यूएट होकर निकला। सेना के साथ साथ परराष्ट्र विभाग में भी काम करता रहा। १९३१ में वह नार्वे का रक्षामंत्री बनाया गया। मंत्री के रूप में मजदूर दल को कम्यूनिस्ट बताकर उसकी आलोचना करता रहा। राइखटाग (जर्मन संसद्) के अनुकरण कर उसने अपने कार्यालय में आग लगवा दी तब उसे पदत्याग करना पड़ा। उसके बाद उसने नैजनल सैमलिंग (राष्ट्रीय संघटन) के नाम से अपने एक दल की स्थापना की पर इस दल का एक भी सदस्य स्टाटिंग (संसद्) में चुना न जा सका। तब वह जर्मनी चला गया। अब नाजी सिद्धांतों में उसका विश्वास पक्का हो गया। उसने १९३७ में रीगा में हुए बाल्टिक सम्मेलन में अल्फ्रडे रोजेंनबर्ग के साथ भाग लिया।

द्वितीय महायुद्ध आरंभ होने पर वह हिटलर के सिद्धांतों के समर्थक बन गया और अप्रैल १९४० में नार्वे पर जर्मन आक्रमण से तीन दिन पूर्व वह देशद्रोही की तरह बर्लिन चला गया। उसने नार्वे पर जर्मनो द्वारा अधिकार करने में यह प्रकार की सहायता की। जर्मनों द्वारा नार्वे पर अधिकार हो जाने के बाद क्विजलिंग ने अपने को प्रधान मंत्री घोषित किया और नैजनल सैमलिंग की ओर से मंत्रिमंडल गठित किया। किंतु इस मंत्रिमंडल को जब जर्मनों का अनुमोदन न मिला तो वह जर्मन अधिकारियों को समझाने बर्लिन गया। फलस्वरूप नार्वे की सरकार का शासन जर्मन राइख की ओर से जोजेफटर्बोबेन को दिया गया साथ ही तेरह आदमियों की एकप रामर्शदात्री समिति बना दी गई जिसके अधिकांश सदस्य क्विजलिंग के अनुयायी थे। नार्वे में क्विजलिंग के नैजनल सैमलिंग को एकमात्र राजनीतिक दल कर मान्यता दी गई। छिपे हुए राष्ट्रवादियों को खोजकर पकड़वाने में नार्वे के नाजी दल-हर्ड को उसका सहायक बनाया गया।

महायुद्ध समाप्त होने पर क्विजलिंग गिरफ्तार कर लिया गया और देशद्रोह के अपराध में उसे मृत्युदंड मिला। २४ अक्तूबर, १९४५ को आकेर्शुस के दुर्ग में उसे गोली मार दी गई। क्विजलिंग का नाम देशद्रोही के पर्याय के रूप में अनेक भाषाओं में गृहीत किया गया। आज क्विजलिंग का अर्थ है देशद्रोही। (परमेश्वरीलाल गुप्त)