क्लीवलैंड, जान (१६१३-१६५८ ई.) अंग्रेज कवि और व्यंगलेखक। लौबरा में जन्म। १४ वर्ष की अवस्था में कैब्रिज के क्राइस्ट चर्च में भरती हुआ और १६३४ में सेंट जान्स कालेज का फेलो नियुक्त हुआ। कैंब्रिज के निर्वाचन क्षेत्र से ओलिवर क्रामवेल के विरुद्ध पार्लामेंट की सदस्यता के लिये खड़ा हुआ। प्यूरिटन दल के सफल होने पर आक्सफोर्ड चला आया। इस समय तक वह व्यंगलेखक के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका था अत: राजा ने उसे आदर प्रदान किया और वह उनके साथ १६४५ में नेवार्क गया। नेवार्क में वह जज एडवोकेट रहा और १६४६ में नगर की रक्षा में सक्रिय भाग लिया। वह कट्टर रायलिस्ट था। जब स्काट लोगों ने राजा चार्ल्स प्रथम को पार्लमेंट के सुपुर्द कर दिया तो उसने अपना क्षोभ १६४७ में ‘द रिबेल स्काट’ लिखकर प्रकट किया। अपनी इन भावनाओं के कारण उसे १६५५ ई. में जेल भुगतना पड़ा। जीवन के अंतिम दिनों में वह लंदन आकर रहने लगा।
क्लीवलैंड अध्यात्मवादी धारा का कवि था। उसकी अधिकांश रचनाएँ व्यंगात्मक हैं। उसकी कविताओं का एक संग्रह ‘द पोयम्स’ नाम से प्रकाशित हुआ। कलात्मक दृष्टि से ‘एलेजी आन बेन’ जानसन एक सुंदर रचना है। समासामयिकों के बीच उसकी लोकप्रियता मिल्टन की अपेक्षा अधिक थी। उसकी लोकप्रियता का पता उसकी रचनाओं के असंख्य संस्करणों से लगता है और उन्हें सत्रहवीं शती की जनरुचि का मापदंड कहा जाता है। २९ अप्रैल, १६५८ ई. को उसकी मृत्यु हुई।
(परमेश्वरीलाल गुप्त)