क्लाप्स्टाक, फ्रेडरिच गौटलेब (१७२४-१८०३ ई.) जर्मन कवि। इसका जन्म क्वेडलिनबुर्ग में हुआ था और उसने शुल्पफोर्टा के धार्मिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। अपने अध्ययन काल में ही उसने हेनरी फाउलर के संबंध में एक महाकाव्य लिखने की योजना बनाई थी किंतु मिल्टन का पैराडाइज़ लॉस्ट पढ़ने के बाद उसका विचार बदल गया और उस ने अपने महाकाव्य का विष्य मसीह को बनाने का निश्चय किया। १७४५ में जेना विश्वविद्यालय जाने के बाद उसने इसे लिखना आरंभ किया और लाइपजिग आने तक वह उसके तीन सर्ग लिख चुका था। वे १७४८ में एक पत्रिका में प्रकाशित हुए और समकालिक कवियों ने उसकी भूरिभूरि प्रशंसा की। तत्पश्चात् समय समय पर उसके चार और खंड प्रकाशित हुए। १७७३ में यह महाकाव्य पूरा होकर प्रकाशित हुआ।

१७४६ के बाद क्लाप्स्टाक ने मैत्री, प्रकृति, धर्म, देशभक्ति, कविता और भाषा से संबंधित अनेक गीत लिखे जिनका एक संग्रह १७७१ में प्रकाशित हुआ। उसने बाइबिल की कथावस्तु पर अनेक नाटक लिखे । उसने हरमैन को, जिसने ९ ई. में रोमनों को पराजित किया था, नायक बनाकर कई नौटंकी (बार्डिक ड्रामा) भी लिखे जिनका बहुत दिनों तक प्रभाव रहा और हरमैन विषयक नाटकों में उनका अग्रगण्य स्थान माना जाता था।

१७५१ में डेनामर्क नरेश फ्रेडरिक (पंचम) ने उसे कोपेनहेगेन बुलाया और उसके लिये वार्षिक वृत्ति बाँध दी ताकि वह मुक्त रहकर काव्यरचना करे। कुछ दिनों वह डेनमार्क में रहा, यदाकदा जर्मनी आता था। १७७० में वह हंबुर्ग में स्थायी रूप से आ बसा। अंतिम दिनों में वह भाषा और छंद पर ही लिखता रहा।

क्लाप्स्टाक का महत्व जर्मन साहित्य में उसके गीतिकाव्यों के लिये है। डेर मसीह यद्यपि महाकाव्य के रूप में काफी दोषपूर्ण है तथापि वह उस युग के लिये काव्य की भाषा में व्यक्त की जानेवाली नई चीज थी। उसमें कवि की आस्था मूर्तिमान होकर प्रकट हुई है। उसने वस्तुओं के वर्णन करने की अपेक्षा उनके प्रभाव की अभिव्यक्ति की है। अव्यक्त को व्यक्त करने के लिये उसने जो शब्दावली प्रस्तुत की है उनमें अद्भुत काव्यसंकेत हैं। यही बात उसके गीतों में भी परिलक्षित होती है। प्रकृति विषयक रचनाओं में स्वानुभूति की अभिव्यक्ति (सब्जेक्टिव इंप्रेशन) के लिये उसने जो सायास प्रयास किया है उससे एक नई और प्रभावोत्पादक ढंग की वर्णनात्मक कविता को जन्म दिया। उससे जर्मन भाषा में वैयक्तिक अनुभूति के रूप में गीति को एक नया रूप प्राप्त हुआ। उसने अपनी गीतिकाओं में लय की स्वच्छंदता को अपनाया है जिसके कारण उनमें संगीत प्रतिध्वनित होता है। इन मुक्त छंदों को उनके लचीले पद के कारण गेटे, होल्डरिन, नोवालिस, हेन सदृश परवर्ती कवियों ने अनुभूति और विचारों की अभिव्यक्ति के लिये ग्रहण किया। इस प्रकार क्लाप्स्टाक आधुनिक जर्मन गीतिकाव्य का पुनरुद्धारक और प्रेरक था।

(परमेश्वरीलाल गुप्त)