क्रोसस (ईसापूर्व ५६०-५४६) लीडिया के मर्मनाद वंश का अंतिम शासक। अपने सौतले भाई को पराजितकर अपने पिता अल्यतेन के स्थान पर शासक हुआ था। उसने यूफेसस, मिलेरस आदि स्थानों पर अधिकार प्राप्तकर आयोनिया के विजय को पूरा किया था किंतु नौशक्ति के अभाव में उसे अन्य द्वीपों पर अधिकार करने का विचार त्यागना पड़ा। उसने लीडिया के साम्राज्य का हेलिस तक विस्तार किया। व्यापार से उसे अपार धन की प्राप्ति हुई थी और उसके वैभव की अनेक अनुश्रुतियाँ यूनानियों के बीच प्रचलित हैं।
मीडिया साम्राज्य के पतन के पश्चात् ईसापूर्व ५४९ में उसे साइरस (करु प) की उभरती हुई शक्ति का सामना करना पड़ा। उसने बाबुल (बेबिलान) के नेबोनिडस के सहयोग से उसका प्रतिरोध करने की चेष्टा की। लीडिया और बाबुल के शासकों का एक संघ बना। मिस्र ने अपनी सेना और स्पार्टा ने अपनी नौसेना देने का वचन दिया। क्रोमस ने कप्पाडोसिया पर आक्रमण कर पहल की। तेरिया के युद्ध में जब कोई निर्णायक परिणाम न निकला तो वह संघ की सेना एकत्र करने के लिये सार्डिस आया। साइरस ने उसका पीछा किया और अचानक सार्डिस पर जा पहुँचा। क्रोमस ने विजेता के हाथों से बचने के लिये आत्मदाह करना चाहा किंतु साहरस ने विजेता उसे पकड़ ही लिया और उसने आत्मदाह की चेष्टा की भर्त्सना की। क्रोसस को साइरस की अधीनता स्वीकार करनी पड़ी। आर्तमिस के मंदिर के स्तंभ के एक अवशेष पर, जो ब्रिटिश संग्रहालय में है, यूनानी भाषा में क्रोसस का एक लेख है। उससे ज्ञात होता है कि उस स्तंभ को उसने बनवाया था। (परमेश्वरीलाल गुप्त)