क्रोटन भारत और मलय प्रायद्वीप में उत्पन्न होनेवाला यूफारेबाइसी परिवार का एक वृक्ष जिसके बीज से तेल निकाला जाता है। उसके बीज अरंड के बीज के आकार के होते हैं किंतु उसके छिलके पर न तो चित्ती होती है और न चमक। इसके बीज के गूदे में ५० से ६० प्रतिशत तक तेल होता है और गर्म तवे के बीच दाब कर निकाला जाता है। यह तेल चिपचिपा हलका पीलापन लिए होता है और स्वाद में कटु और इसकी गंध असह्य होती है। वह उड़नशील तेलों, कार्बन डाइसल्फाइड, ईथर तथा कुछ सीमा तक अल्कोहल में घुलनशील है। इसमें एसेटिक, व्यूटाइरिक और वेलटिक एसिड होते हैं। इसका मुख्य अंश रेसीन होता है।
इसका प्रयोग दवाओं, मख्यत: पशुओं की दवाओं में होता है। किंतु त्वचा पर प्रयोग करने से तीव्र खुजली होती है और वह सूज जाता है। एक बूँद से भी कम खाने से तत्काल पेचिश हो जाती है, इस कारण यह अत्यंत खतरनाक तेल समझा जाता है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)