क्रेमैंजी, आक्टेव (१८२२-१८७९ ई.) कनाडा का कवि। ८ नवंबर, १८२२ ई. को क्वेवेक में जन्म और वहाँ शिक्षा। १८४८ ई. में उसने अपने दो भाइयों के सहयोग से एक किताब की दुकान खोली जो एक प्रकार से साहित्यकारों का अड्डा बना। वहाँ से उसने ‘ले स्वायरे’ कनेडियस नामक पत्रिका निकाली जिसका उद्देश्य फ्रांसीसी कनाडा के लोकगीतों को संगृहीत करना था ताकि वे लुप्त न हो जायँ। क्रेमैजी ने स्वयं अपनी कविताएँ १८५४ ई. से ‘जर्नल द क्यूबेक’ में प्रकाशित करना आरंभ किया। १८६३ ई. में वह कतिपय व्यापारिक कठिनाइयों में पड़ गया और कनाडा छोड़कर फ्रांस चला गया जहाँ उसका सारा जीवन दरिद्रतापूर्ण बीता। इस काल में उसने जूल्स फांटने के छद्म नाम से कविताएँ लिखीं। इस काल में उसने एक नैराश्यपूर्ण लंबी कविता लिखी और ‘पेरिस के घेरे’ पर जिसे उसने आँखों देखा था एक खंड काव्य लिखा। उसकी कविताएँ कनाडा की राष्ट्रीयता और कनाडा की प्राकृतिक छवि से ओतप्रोत हैं। हार्वे में १६ जनवरी, १८७९ ई. को उसकी मृत्यु हुई।
(परमेश्वरीलाल गुप्त)