क्रेन, वाल्टर (१८४५-१९१५ ई.)। अँगरेज चित्रकार। १५ अगस्त, १८४५ ई. को लिवरपूल में जन्म। बारह वर्ष की अवस्था में लंदन आया। चित्रकार पिता का पुत्र होने के कारण चित्रकला में उसकी अभिरुचि जागृत हुई और रेफल के पूर्ववर्ती चित्रकारों के संपर्क में आया तथा रस्किन का शिष्य बना। पश्चात् १८५९ से १८६२ ई. तक उडइंग्रेवर विलियम जेम्स लिटन के यहाँ काम सीखने लगा। लकड़ी पर चित्रों की उकेरी करते समय उसके सामने समसामायिक प्रख्यात चित्रकारों के चित्र आए। इससे मनोयोगपूर्वक उनके अध्ययन का उसे पर्याप्त अवसर मिला। फिर उसने जापानी रंगीन चित्रों के प्रिंट का अध्ययन किया, जिसका उपयोग आगे चलकर उसने बाल पुस्तकों के चित्रण में किया। १८६२ ई. में उसका लेडी ऑव शालोट शीर्षक चित्र प्रदर्शित हुआ। १८६४ ई० में रंगीन चित्रों के मुद्रक एडमंड इवास के लिये लोरियों की बालपोथियों का चित्रण आरंभ किया। इनमें उसने अपनी अद्भुत कल्पना और डिजाइन के सौंदर्य का परिचय दिया। यह सब कुछ उसने केवल तीन रंगों के सहारे किया। जब १८७३ ई. में फ्राग प्रिंस नाम से एक नई बाल पुस्तकमाला प्रकाशित हुई तो उसमें उसकी प्रतिभा को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त हुई। उसके इन चित्रों पर जापानी चित्रकला का प्रभाव है। ग्रिम की कहानियों के लिये उसने हंसकुमारी का जो चित्रण किया था उसका उपयोग एक पर्दे पर भी किया गया जो अब साउथ केंसिंगटनद संग्रहालयों में हैं। इस प्रकार उसने कितने ही चित्र बालपाथियों के लिये बनाए जो मात्र पुस्तकचित्रण न होकर कला की दृष्टि से उत्कृष्ट रचनाएँ समझी जाती हैं और उनसे क्रेन के ख्याति प्राप्त हुई है।

समाजवादी पत्रिका जस्टिस और द कामनवील के लिये क्रेन प्रति सप्ताह कार्टून भी बनाता रहा। इनमें से अनेक कार्टून कार्टून्स फार द काज़ नाम से १८९६ ई. में ग्रंथ रूप में भी प्रकाशित हुए। उसने कलाकार के संस्मरण नाम से अपनी एक आत्मकथा लिखी हैं। (परमेश्वरीलाल गुप्त)