क्राम्पटन, सैम्युएल (१७५३-१८२७ ई.) अंग्रेज आविष्कारक। लंकाशायर के निकट फरउड में ३ दिसंबर, १७५३ ई. को जन्म। बचपन में ही एक सूत कातने की मिल में काम करने लगा। कातनेवाली चर्खी की खामियों की ओर उसका ध्यान गया और उनको दूर करने का विचार उसके मन में उठा। पाँच छ वर्ष तक वह अपना अतिरिक्त समय उसमें लगाता रहा। इसके लिये वह बोल्टन थियेटर में वायलिन बजाकर भी पैसे जुटाता था। १७७९ ई. के लगभग वह मसलिन बुनने योग्य सूत कातनेवाली मशीन बनाने में सफल हुआ। उसके इस मशीन पर कते सूत की माँग होने लगी पर वह अपनी मशीन को पेटेंट कराने में सफल न हो सका। निदान अनेक उत्पादकों के इस आश्वासन पर कि वे उसके आविष्कृत चर्खे के प्रयोग के लिये उसे धन देंगे, उसने अपने चर्खे का भेद बता दिया। किंतु इसके लिये उसे कुल ६० पौंड प्राप्त हुए। तब उसने स्वयं कातने का कार्य आरंभ किया पर उसे अधिक सफलता नहीं मिली। १८०० ई. में उसकी सहायता के लिये चंदाकर ८०० पौंड एकत्र किए गए और १८१२ ई. में पार्लामेंट ने उसे पाँच हजार पौंड प्रदान किए। इस धनराशि से उसने पहले ब्लीचर का बाद में रूई और सूत कातने का व्यापार आरंभ किया पर इसमें भी वह असफल रहा। २६ जून, १८२७ ई. को बोल्टन में उसकी मृत्यु हुई। (परमेश्वरीलाल गुप्त)