क्यूरी, आइरीन (१८९७-१९५६ ई.) नोबुल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी वैज्ञानिक; पीरी (Pierre) और मारी (Marie) क्यूरी की पुत्री और जोल्यो (Joliot) की पत्नी। इनका जन्म १२ सिंतबर, १८९७ ई. को पेरिस में हुआ था। प्रथम महायुद्ध के दिनों में अध्ययन छोड़कर वह युद्धपीड़ितों की सेवा सुश्रुषा में अपनी माता का हाथ बँटाती रही। तदनंतर १९२५ ई. में पेरिस के रेडियम इंस्टिट््यटू की क्यूरी प्रयोगशाला से डाक्टर की उपाधि प्राप्त की। इस उपाधि के निमित्त उन्होंने पोलोनियम से निकली ऐल्फा किरणों पर कार्य किया। इसी समय रेडियम इंस्टिट ्यूट में फ्रेडरिक जोल्यो नामक एक युवक की नियुक्ति हुई। उसका जन्म १९ मार्च, १९०० को हुआ था। उन्होंने दो वर्ष पूर्व पेरिस के रसायन एवं भौतिकी के एक विद्यालय से इंजीनियरिंग में उपाधि प्राप्त की थी। १९२६ ई. में आइरीन क्यूरी और जोल्यो दोनों का विवाह हो गया।
विवाह के पश्चात जोल्यो और आइरीन क्यूरी दोनों ने साथ-साथ मिलकर कार्य करना आरंभ किया। १९३० ई. में जोल्यो ने डाक्टर की उपाधि प्राप्त की। १९३२ ई. में उन्होंने देखा कि यदि बेरीलियम तत्व को ऐल्फ़ा किरणों के संपर्क में रखा जाए तो उसमें से ऐसी किरणें निकलती हैं, जो दूर तक पदार्थों के भीतर प्रविष्ट हो सकती हें। जोल्यो और आइरीन न्यूट्रॉन को ऊर्जा की किरण ही समझते रहे। अपने इस आविष्कार की घोषणा उन्होंने १५ जनवरी, १९३४ ई. को अपने एक शोध निबंध में की जो कोते रेंडस में प्रकाशित हुआ। पश्चात् चैडविक ने दिखाया कि ये नवीन किरणें वस्तुत: न्यूट्रॉन नामक किरणें की पुंज हैं। जोल्यो और आइरिन ने न्यूट्रानों के प्रभावों का अध्ययन विस्तार से किया और यह प्रदर्शित किया कि न केवल कुछ प्राकृतिक पदार्थ ही रेडियधर्मी हैं, वरन् उन्हें कृत्रिम विधि से प्रयोगशाला में तैयार भी किया जा सकता है। यह एक महान् आविष्कार था, जिसने भौतिक और रसायन के क्षेत्र में एक नया युग प्रस्तुत किया। दोनों को इस आविष्कार के उपलक्ष्य में १९३५ ई० में नोबेल पुरस्कार मिला। रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क से चुल्लि ग्रंथियों और हारमोनों में जो परिवर्तन होते हें उनके संबंध में भी इन्होंने अध्ययन किया।
द्वितीय महायुद्ध के समय जोल्यो विश्वव्यापी शांति के विशेष प्रचारक रहे। उन्हें अपने इन विचारों के कारण हानि भी हुई। आइरीन और जोल्यो भारत भी आए थे। उनकी सद्भावनाओं से इस देश के वैज्ञानिकों ने लाभ उठाया।
जोल्यो को अनेक पुरस्कार मिले-ऐकैडेमी ऑव साइंस का हेनरी विल्डे पुरस्कार (१९३३ ई.), बरनार्ड पदक (१९३८ ई.) तथा स्टैलिन पुरस्कार (१९३८ ई.)। आइरीन को बरनार्ड पदक (१९३२) ई., हेनरी विल्डे पुरस्कार (१९३३ ई.) तथा मार्क्वे पुरस्कार (१९३४ ई.)। कुछ अन्य पुरस्कार पति पत्नी को साथ-साथ मिले।
आइरीन जोल्यो क्यूरी की १५ जनवरी १९३४ को और जोल्यो का १४ अगस्त, १९५८ ई. को देहावसान हुआ । (सत्यप्रकाश )