कोलोन राइन नदी पर बसा जर्मनी का प्रसिद्ध नगर (स्थिति: ५० ५४ उ. अ. से ६ ५७ पू. दे.)।

ई. पू. ३८ में यह रोमन सैनिक अड्डा था। ५० ई. के बाद रोम के राजा क्लाडियस ने अपनी पत्नी कोलोनिया अग्रीपिनेन्सिन के नाम पर इसका नामकरण किया। ८७० ई. में यह जर्मनी के अधिकार में आ गया।

मध्यकालीन युग में यह नगर पूर्व की वस्तुओं, रेशम और मसाले का वितरणकेंद्र रहा। महत्वपूर्ण स्थिति के कारण इसपर विभिन्न शक्तिशाली राष्ट्रों की निगाह बराबर लगी रहती रही। १७९४ ई. में फ्रांसीसियों ने, १८१५ ई. में प्रशावालों ने तथा १९१८ से १९२६ ई. तक अंग्रेजों ने इसे अपने अधिकार में रखा।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बमबर्षा के कारण इस नगर का दो तिहाई भाग पूर्णत: नष्ट हो गया था। इसकी वर्तमान उन्नति रूर औद्योगिक क्षेत्र के सामीप्य से हुई है। यह नगर अनेक रेलमार्गो का केंद्र और महत्व का नदीपत्तन है। यहाँ से अन्न, मद्य, तेल आदि का बेल्जियम, हालैंड और स्विटज़रलैंड को निर्यात होता है। यहाँ तंबाकू, सिगार, चाकलेट, साबुन, बिजली के सामान, रासायनक, जहाज, मोटर, सूती कपड़े, रबर, शीशे, आदि के सामान बनाने के कारखाने हैं। यहाँ का गोथिक कैथेड्रल वास्तु कला का उत्कृष्ट नमूना है।

कैलाशनाथ सिंह