कोलतुंग (१०७४-११२३ ई.)। दक्षिण भारत का एक विख्यात नरेश। कोलतुंग राजेंद्र (द्वितीय) चालुक्यवंश में उत्पन्न हुआ था। उसने अपने मामा चोलनरेश अधिराजेंद्र के राज्य को अपने राज्य में सम्मिलित कर चालुक्य-चोल का सम्मिलित राज्य स्थापित किया और इस प्रकार वह चोलवंशीय नरेश के रूप में प्रख्यात हुआ। वह अत्यंत वीर था। उसने कलिंग पर विजय प्राप्त की। उसके इस विजय अभियान के संबंध में उसके प्रधान राजकवि गोदंत ने तमिल भाषा में कलिंगट्ट परनिद्र नामक महाकाव्य की रचना की है।

कोलतुंग जैन धर्मानुयायी था। उसने राजेंद्र चोल द्वारा विनष्ट किए गए कतिपय जैन मंदिरों का उद्धार कराया और अनेक जैन विद्वानों को प्रथय प्रदान किया। उसके इस जैन धर्मानुराग से रामानुजाचार्य बहुत रुष्ट हुए और उसके राज्य का परित्याग कर होयशल राज्य में चले गए थे। कोलतुंग की ११२३ ई. में मृत्यु हुई। (परमेश्वरीलाल गुप्त)