कोलंबियम (Columbium)। रसायन की आवर्तसारणी के पंचम अंतवर्ती समूह का एक तत्व। अंतरराष्ट्रीय रसायन संघ ने इस तत्व का नाम बदलकर नियोबियम रख दिया है, परंतु कई जगहों पर इसे अब भी कोलंबियम नाम से ही अभिहित किया जाता है।

इस तत्व का केवल एक स्थिर समस्थातिक (भारसंख्या ९३) पाया जाता है। इसके अतिरिक्त नौ रेडियमधर्मी समस्थानिक कृत्रिम साधनों से निर्मित किए गए हैं। इनकी भार संख्या ९०, ९१,९२, ९३, ९४, ९५, ९६, ९७, ९८, और ९९ है।

सन् १८०१ ई. में ब्रिटेन के रसायनज्ञ हैचेट ने कनेक्टिकट (संयुक्त राज्य, अमरीका) के एक अयस्क का विश्लेषण किया, जिसमें एक नए ऑक्साइड की खोज हुई। उसने इस ऑक्साइड के स्रोत का नाम कोलंबियम प्रस्तावित किया। सन् १८४४ में रोज़ ने अपने अन्वेषणों द्वारा सिद्ध किया कि हैचेट द्वारा प्राप्त कोलंबियम वास्तव में दो तत्वों का संमिश्रण है, जिसमें एक टैंटालम था। यह सन् १८०२ में खोजा जा चुका था। उसने दूसरे तत्व का नाम नियोबियम रखा। इस प्रकार इस तत्व के दो नाम प्रचलित हो गए।

कोलंबाइट अयस्क कोलंबियम का मुख्य स्रोत है। इससे कोलंबियम तथा टैंटालम के मिश्रित ऑक्साइड निकालकर द्वि-फ्लोराइड में परिणत किए जाते हैं। टैटालम फ्लोराइड की विलेयता कम होने के कारण इसे अलग कर लेते हैं। अन्य रसायनिक विधियों द्वारा विशुद्ध कोलंबिक अम्ल (HNb O3) तैयार करते हैं, जिसके प्रज्वलन द्वारा ऑक्साइड (Nb2 O5) बनता है। ऑक्साइड एवं कार्बाइड को समतुल्य मात्राओं में मिश्रित कर निर्वात अवस्था में गरम करने पर धातु तैयार की जाती है।

कोलंबियम मृदु तथा तन्य गुणवाली धातु है। इसके कुछ विशेष गुण निम्नलिखित हैं:

संकेत Cb या Nb

परमाणसंख्या ४१

परमाणभार ९२.९१

गलनांक २,४१५ सेंटीग्रेड

क्वथनांक लगभग ३,३०० सेंटीग्रेड

घनत्व ८.५७ ग्राम प्रति घ. सें.

कोलंबियम धातु सामान्य गुण की है और अधिकतर अम्लीय पदार्थो द्वारा प्रभावित होती है। हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल, गरम सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल एवं सांद्र क्षारों से इसपर शीघ्र अभिक्रिया होती है । उच्च ताप पर यह धातु सभी साधारण गैसों से अभिक्रिया कर यौगिक बनाती है।

कोलंबियम अधिकतर पंचसंयोजकीय यौगिक बनाता है परंतु इसके कुछ द्वि, त्रि एवं चतुस्संयोजक यौगिक भी ज्ञात है ।

शुद्ध कोलंबियम धातु के सामान्य उपयोग ज्ञात नहीं हैं। लौह के साथ मिश्रित अवस्था में यह विशेष इस्पात के निर्माण में उपयोगी सिद्ध हुआ है। (रमेशचंद्र कपूर)