कोरोलेंको, ब्लादिमिर गलक्तिओनोविच (१८५३-१९२१ ई.) रूसी कहानीकार और उपन्यासकार। इनका जन्म जितोमिर नगर में एक कर्मचारी परिवार में हुआ था। अपने विद्यार्थी जीवन में कोरोलेंको स्वदेश के किसानों की बुरी हालत की आलोचना किया करते थे जिसके कारण १८७९ में इन्हें कालापानी मिला। सन् १८८५ में छूटने पर निज़नी नोवगोरोद (आधुनिक गोर्की) नगर में पुलिस की निगरानी में रहने लगे। इनकी पहली कहानी १८७९ ई. में प्रकाशित हुई थी। अनोखी कहानी (१८८०)में एक रूसी क्रांतिकारिणी लड़की के धैर्य और साहस की कथा है। अंधा वादक उपन्यास (१८८६) का मुख्य विचार यह है कि जब तक किसी मनुष्य का जीवन जनता के जीवन से अलग है तब तक उसे सुख नहीं मिल सकता। बिना जबान के उपन्यास में अमरीका में रहने के लिये आए हुए एक उक्रेनी किसान की दु:खमय कथा है। उनके विचारों में रूस के जनवादी साहित्य का गहरा प्रभाव है।

१९०० में कोरोलेंको को सम्मानित अकदेमिक उपाधि दी गई। परंतु चेख़व के समान इन्होंने भी इस उपाधि को लेना अस्वीकार किया। इसका कारण था कि गोर्की को संमानित अकदेमिक उपाधि देने की स्वीकृति रूसी ज़ार ने नहीं दी थी।

कोरोलेंको की सबसे बड़ी कृति मेरे समकालीन की कथा (१९०६-२२) उनकी आत्मकथा के समान है। इसमें उस काल के सामाजिक जीवन का विस्तारपूर्ण चित्रण मिलता है। कोरोलेंको ने दिखाया कि महान् अक्तूबर क्रांति की विजय इसी लिये हुई की अधिकांश जनता ने इसका समर्थन किया और इसमें सक्रिय भाग लिया।

कोरोलेंको की रचनाएँ उच्च कोटि की हैं। इनमें जनता के जीवन का वास्तविक चित्रण है। इसी लिये १९०७ में लेनिन ने कोरोलेंको को प्रगतिशील लेखक कहा था। तालस्तॉय, चेखब और गोर्की कोरोलेंको को बहुत मानते थे। गोर्की के कथनानुसार कारोलेंको ने रूसी जनता के जीवन के उन पहुलओं का वर्णन किया जिनका इससे पहले कोई भी लेखक न कर सका। कोरोलेंकों का प्रभाव अनेक लेखकों पर पड़ा। उनकी रचनाओं को बड़ी लोकप्रियता मिली; वे अनेक भाषाओं में अनूदित हैं। (प्रोफेसर प्यौत्र अकेलेक्सीविच बारान्निकोव)