कोपेनहेगन डेनमार्क की राजधनी जो जीलैंड द्वीप के पूर्वी तट की समतल भूमि पर स्थित है। प्रारंभ में यह हान नामक मत्स्योत्पादक ग्राम था जिसने १२५४ ई. में नगर का रूप धारण किया। जब राजा क्रिस्टोफर तृतीय ने इसे अपनी राजधानीं बनाया तब से इसकी वास्तविक उन्नति हुई। १७०० ई. में डच, स्वीडन तथा अँग्रेजों की बमवर्षा से, १७२८ एवं १७९५ में अग्नि से तथा १८०७ में अंग्रेजों की पुन: बमवर्षा से यह नगर अत्यंत क्षतिग्रस्त हो गया था। इसकी व्यापारिक उन्नति ने, जो १९ वीं शताब्दी के मध्य में मंद पड़ गई थी, १८९४ ई. में करमुक्त बंदरगाह के निर्माण से पुनर्जीवन प्राप्त किया। यहाँ एक प्राकृतिक पत्तन तथा बंदरगाह है। मुख्य निर्यात मांस, दुग्धपदार्थ, चीनी मिट्टी, मिट्टी के समान, घड़ियाँ, मशीनें, वस्त्र रासायनिक पदार्थ, चीनी मद्य, डिजेल इंजन, जलपोत, काष्ठपदार्थ, कागज तथा चाकलेट इत्यादि हैं।

यहाँ कोपेनहेगन का विश्वविद्यालय, इंस्टिट्यूट फ़ॉर थियोरेटिकल फ़िज्क्स़ाि (१९२० ई.), रॉयल डैनिश जीओग्राफ़िकल सोसायटी (१८७६ ई.), अनेक शिक्षण एवं गवेषणा संस्थाएँ तथा तीन प्रमुख संग्रहालय हैं। यहाँ के रॉयल पुस्तकालय में लगभग १५,००,००० पुस्तकें हैं। नगर में अनेक प्रमोद वन, झीलें एवं भव्य भवन हैं जिनका निर्माण क्रिश्चियन चतुर्थ (१५८८-१६४८ ई.) तथा फ्रेंडरिक पंचम (१७४६-१७६६ ई.) के शासनकाल में हुआ था।

इस नगर की जनसंख्या १९६५ ई. में १,३७७,६०५ थी। (नन्हें लाल)