कैथाल हरियाणा प्रदेश के कर्नाल जिले का एक प्रमुख नगर (२९ ४८ उ. अ. से ७६-२४ पू. दे.) जो कर्नाल नगर से ३८ मील पश्चिम स्थित है। अनुश्रुति है कि महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने इसे स्थापित किया था। संस्कृत साहित्य में कपिस्थल नाम से इसका उल्लेख हुआ है। यहाँ कपिराज हनुमान क ी माता अंजनि का मंदिर है। मुसलमान शासकों के समय यह स्थान अधिक महत्वपूर्ण था। अकबर ने यहाँ एक किला बनवाया था। १७६७ ई. में यहाँ सिक्खों का अधिकार हुआ। १८४३ ई. में अंग्रेजों ने इसे अधिकृत कर जिले का प्रधान नगर बनाया। १८४९ ई. में थानेश्वर जिले में इसे मिलाया गया जो स्वयं १८६२ ई. में कर्नाल जिले में सम्मिलित कर लिया गया और उसे एक तहसील का स्थान प्राप्त हुआ। यहां सूती कपड़े के कारखाने हैं। दस्तकारी तथा लकड़ी की वार्निश के धंधे प्रमुख हैं।
तहसील के रूप में इसका क्षेत्रफाल १,२२१ वर्गमील है, जो घग्गर नदी द्वारा दो भागों में बँटा है। उत्तरी भाग बलुई मिट्टी एवं विषम धरातल का है। दक्षिणी भाग में यमुना नदी द्वारा सिंचाई होती है जिससे यह भू-भाग कृषिप्रधान है। घग्गरऔर सरस्वती का दोआब जिसे नाली कहते हैं, पहले चरागाह के रूप में प्रसिद्ध था पर अब उस भूभाग में भी खेती होती है। यहाँ की मुख्य फसल गेहूँ, गन्ना तथा कपास है। (कैलााश्नाथ सिंह)