कैथरीन (रूस की जारीना-साम्राज्ञी) (१) (१६८३-१७२७ ई.) लिथूनिया निवासी किसान की बेटी। इसका नाम मार्था था। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर वह एक पादरी के यहां नौकरानी हो गई और एक स्वीडन निवासी से विवाह कर लिया। स्वीडन-रूस युद्ध के समय वह युद्धबंदी बनाई गई और रूसी राजकुमार मेंशिकाफ के हाथ बेच दी गई। मेंशिकाफ के घर रूस के जार पीतर, जो महान् कहे जाते हैं, आते जाते थे। वे मार्था पर आसक्त हो गए और अपनी पत्नी यूडोक्सिया को तलाक दे कर उससे विवाह कर लिया और उसका नया नामकरण कैथरीन अलेक्जेयेव्ना किया गया। कैथरीन पीतर की अनिवार्य सहयोगिनी बन गई और युद्धों में भी उसके साथ रही। जब कभी जार और उसके मंत्रियों में मतभेद होता तो वह मध्यस्थ होती थी। १७२२ ई० में वह पीतर की उत्तराधिकारिणी बनाई गई और १७२४ में वह जारीना (साम्राज्ञी) घोषित की गई और पीतर की मृत्यु के बाद उसने शासन की बागडोर अपने हाथ में ली। पूर्णतया निपढ़ होने पर भी वह असाधारण बुद्धिमति, गंभीर और मृदु स्वभाव की थी और उसने योग्यतापूर्वक शासन किया। १६ मई, १७२७ को उसकी मृत्यु हुई। (प० ला० गु०)
(२) कैथरीन महान् के नाम से विख्यात जारीना (साम्राज्ञी)। (१७२९-१७९६ ई०)। इसका वास्तविक नाम सोफ़िया आगस्टा फ्रेडरिक था और इसका जन्म २ मई १७२९ को स्टेटिन में हुआ पिता का नाम क्रिश्चियन आगस्टस ओर माता का जोहन्ना एलिजाबेथ था। पिता प्रशा के सेनानायक थे। १७४४ ई० में इसे रूस ले जाया गया ताकि इसका विवाह साम्राज्ञी एलिजाबेथ के भतीजे पीरत से, जो राज्य का उत्तराधिकारी भी था, कर दिया जाय। यह विवाह राजनीतिक था। प्रशा तथा रूस का राजनीतिक गठबंधन दृढ़ और आस्ट्रिया की शक्ति कम करने की दृष्टि से इसका विवाह २१ अगस्त, १७४५ को साम्राज्ञी एलिजाबेथ के भतीजे पीतर से हुआ। कैथरीन स्वभाव से चतुर तथा महत्वाकांक्षिणी थी और अपने को रूस की साम्राज्ञी बनाना चाहती थी। इसी कारण उसने इच्छा न होते हुए भी पीरत से विवाह करना स्वीकार किया था। पीरत की व्यक्तित्वहीनता के कारण उसका दांपत्य जीवन सुखी न था। फलत: उसने अपना ध्यान गहन अध्ययन की ओर लगाया। वोल्तेयर की रचनाओं का अध्ययन एवं उससे पत्रव्यवहार भी किया। इस अध्ययन से उसे मानव प्रकृति को समझने तथा मनुष्य की निर्बलताओं को पहचानने की क्षमता आ गई और वह खुशामद की कला में पारंगत हो गई। परिस्थिति ने भी अभिलाषाओं को पूरा होने में उसकी सहायता की।
१७६२ में साम्राज्ञी एलिजाबेथ के स्वर्गवास के उपरांत पीतर जार हुआ। राज्य हाथ में आते ही पीतर ने चर्च का अपमान किया, कैथरीन को तलाक देने की धमकी दी और इसी प्रकार के अन्य अनेक विवेकहीन कार्य किए जिससे रूसी जनता अप्रसन्न हो गई। पीतर को पदच्युत कर दिया गया और कैथरीन ज़ारीना घोषित की गई। ज़ारीना घोषित हो जाने के पश्चात् ही कैथरीन ने प्राचीन धर्म की रक्षा करने तथा रूस को वैभवशाली बनाने की घोषणा की। पीतर को रोपचा भेज दिया गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गई। रूस की सत्ता पूर्ण रूप से अब कैथरीन के हाथ में आ गई। उसने संकल्प किया कि वह रूसी समाज को बर्लिन तथा पेरिस के समाज की भाँति ही सभ्य तथा सुसंस्कृत बनाएगी। उसने सदैव राज्य का हित सर्वोपरि रखा। इसी भाव से प्रेरित होने के कारण उसे पुस्तकों के अध्ययन में विशेष रुचि रही। ब्लैकस्टन की कृति कमेंटरीज का उसने गहरा अध्ययन किया। प्रात: पाँच बजे उठकर वह अपना कार्य प्रारंभ कर देती और औसतन् १५ घंटे काम करती थी। वह फ्रांसीसी सभ्यता की पोषक थी ओर उसको उसने प्रोत्साहित किया।
कैथरीन फ्रेंच विश्वकोश के निर्माताओं, विशेषकर वोल्तेयर और दिदेंरो की शिष्या थी ओर रूसी जीवन में सुधार करना चाहती थी। कृषिदासता को उसने कम करना चाहा परंतु अपने शासनकाल में सफल न हो सकी। १६६५ ई० में उसने लॉक की योजना के आधार पर शिक्षाक्षेत्रों में नए प्रयोग का श्री गणेश किया ; एक नई विधिसंहिता तैयार करने के लिये एक आयोग की स्थापना की जिसका कार्य आंतरिक सुधार के विषय में परामर्श देना था। उसने जो निर्देश इस आयोग को दिये वे मोतेस्कू तथा वेकारिया की कृतियों पर आधारित थे। रूसी जनता ऐसे सुधारों के लिये तैयार न थी, अत: उसका विरोध हुआ। किसानों की दशा भी बिगड़ गई जिसके कारण विद्रोह होने लगे। इसी समय तुर्की से युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध से निवृत होने तथा वोल्गा में विद्रोह के दमन के पश्चात् कैथरीन ने पुन: अपना ध्यान विधिसंहिता तैयार करने की ओर लगाया। मुख्य अधिनियमों के लिये उसने स्वयं सामग्री प्रस्तुत की। परंतु उसके इन सब सुधारों का विरोध हुआ और प्रगतिशील वामपक्ष ने नई माँगे प्रस्तुत कीं। इन माँगों तथा विद्रोह ने उसमें प्रतिक्रिया की भावना पैदा कर दी। लुई १६वें को फाँसी होने के बाद उसकी प्रतिक्रिया की भावना और भी उग्र हो गई और उसने दमन करना आरंभ किया। नोवीकोव को कारागार भेजा, रैडिश्चैव को साइबेरिया निष्कासित कर दिया। तथापि कहना होगा कि कैथरीन के शासनकाल में रूस में स्वतंत्र न्यायपालिका तथा स्वशासन का श्री गणेश हुआ; और व्यक्ति को प्रतिष्ठा मिली। रूसी साम्राज्य के विस्तार की उसकी विदेशनीति अत्यंत सफल रही। तीन विभाजनों के पश्चात् पोलैंड के रूसी प्रांत उसके साम्राज्य के अंग बन गए और कृष्णसागर तक का मार्ग रूस को प्राप्त हो गया।
१० नवंबर, १७९६ को मस्तिष्क में रक्तस्राव होने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
सं. ग्रं.- कैथरीन : मेम्वायर्स ऑव द एंप्रेस कैथरीन सेकेंड, लंदन, १८५९; केंब्रिज मॉर्डन हिस्ट्री, खंड ६; एन्साइक्लोपीडिया ब्रिट्रेनिका, खंड ५; एन्साइक्लोपीडिया ऑव द सोशल साइंसेज खंड ३-४। (सैयद अतहर अब्बास रिज़वी.)