कैंडौल, ड ऑगस्टिन पिरेम (१७७८-१८९६ ई०) स्त्रिम वनस्पतिज्ञ। इनका जन्म जिनीवा में हुआ था। वहीं उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। वे १७९६ में पेरिस आए और ९ वर्ष तक मोेंलिए (Montpellier) में वनस्पति विज्ञान के शिक्षक रहे। पश्चात् वे जिनीवा में प्रकृतिविज्ञान (Natural History) के प्राध्यापक होकर लौट आए। अपने जीवन का शेष भाग इन्होंने वनस्पतियों के वर्गीकरण की अपनी प्राकृतिक रीति को पूर्ण करने में बिताया। जिनीवा में ९ सितंबर, १८९३ को इनकी मृत्यु हुई।

वनस्पति संबंधी उनकी महत्व की दो पुस्तकें प्रकाशित होने पर, उन्हें फ्रांस की वनस्पति (Flore Francaise) नामक प्रसिद्ध पुस्तक का तृतीय संस्करण तैयार करने का काम सौंपा गया। इसमें इन्होंने प्रकृत्यानुसार वर्गीकरण की अपनी रीति के सिद्धांत का स्पष्टीकरण किया। वनस्पति विज्ञान संबंधी उन्होंने अन्य कई महत्व की पुस्तकें लिखी हैं। फ्रांस की सरकार के इच्छानुसार इन्होंने उस देश का वानस्पतिक तथा कृषीय सर्वेक्षण भी किया। (भगवानदास वर्मा.)