केलॉग, सैमुऐल एच. (१८३९-१८९९ ई.) हिंदी के प्रसिद्ध व्याकरण ग्रैमर ऑव द हिंदी लैंग्वेज (१८७५) के रचयिता। उनका जन्म ६ सितंबर, १८३९ को वेरूटहैंपटन (न्यूयार्क) में हुआ था। १८६४ में प्रिंस्टन सेमिनरी से ग्रैजुएट होकर धर्मप्रचारक के रूप में वे भारतवर्ष आए। १८७२ में वे इलाहाबाद के थियोलॉजिकल ट्रेनिंग स्कूल में अध्यापक नियुक्त हुए। १८७६ में वे स्वदेश लौट गए। १८७७ में प्रिंस्टन में वे ही डी. डी. की उपाधि से विभूषित हुए। धर्मप्रचार कार्य में विशेष रुचि होने के कारण १८७७ में पिट्सबर्ग में प्रेसबाइटीरियन चर्च के, और १८८६-९२ में टोरंटों में उन्होंने पैस्टर का पद ग्रहण किया। इसी बीच १८७९ में उन्होंने थियोलॉजिकल सेमिनरी की अध्यक्षता में धर्म पर तुलनात्मक दृष्टि से भाषण दिया। १८९२ में ये पुन: भारत आए। इस बार वे नॉर्थ इंडिया ऐंड ब्रिटिश ऐंड फ़ॉरेन बाइबिल सोसायटीज़ की ओर से धर्मपुस्तक (बाइबिल) के प्राचीन नियम (ओल्ड स्टेटामेंट) का हिंदी अनुवाद तैयार करने के लिये संघटित समिति के सदस्य के रूप में आए और इस हैसियत से उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किय। ग्रामर ऑव द हिंदी लैंग्वेज के अतिरिक्त द लाइट ऑव एशिया और द लाईट ऑव द वर्ल्ड (१८८५) इनके दो अन्य ग्रंथ हैं। (लक्ष्मीसागर वाष्णीय)