केंस, लार्ड जान मेनार्ड (१८८३-१९४६ ई.)। विख्यात अंग्रेज अर्थशास्त्री। इटन और केंब्रिज में अध्ययन। १९१२ से अर्थ विभाग में सेवा। १९३० में द्रव्य पर निबंध प्रकाशित। १९३४ में सयुंक्त राज्य अमरीका की आर्थिक व्यवस्था का अध्ययन तथा राष्ट्रपति रूजवेल्ट को तत्संबंधी परामर्श जिसका समावेश रूजवेल्ट ने अपनी नीति में किया। १९३६ में उनका प्रमुख ग्रंथ रोज़गार, ब्याज और द्रव्य के साधारण सिद्धांत (जेनरल थियरी ऑव एंप्लायमेंट इंटरेस्ट ऐंड मनी) प्रकाशित। १९४२ में हाउस ऑव लार्ड के सदस्य मनोनीत। दो महायुद्धों में उन्होंने इंग्लैंड की आर्थिक नीति का नेतृत्व किया; राष्ट्रीय आय, बचत और विनियोजन में स्पष्ट संबंध बतलाया। आपका कहना है कि पूँजीवादी व्यवस्था में आर्थिक संकट अवश्यंभावी है----इस नियम के अनुसार (पूँजीवादी) आर्थिक प्रणाली स्वत: संतुलन प्राप्त कर लेती है। पूर्ति माँग के बराबर, मूल्य लागत के बराबर, आयात निर्यात के बराबर और विनियोजन संचय के बराबर होता है, यह विचार उनकी दृष्टि में भ्रमात्मक है। आर्थिक व्यवस्था को ठीक रखने के लिये सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है, यह मानकर उन्होंने ब्याज का सिद्धांत प्रतिपादित किया है। उनका कहना है कि पूर्ण रोज़गार आर्थिक व्यवस्था का लक्ष्य होना चाहिए। समकालीन अर्थशास्त्रियों में सबसे प्रसिद्ध होते हुए उनका व्यक्तित्व विवादग्रस्त है। लोग भ्रमवश उन्हें मार्क्स के समान विचारोंवाला मानते है।
सं. ग्रं. -- ---जिड तथा रिस्ट : ए हिस्ट्री ऑव इकनामिक डाक्ट्रीन; एरिकरोल : ए हिस्ट्री ऑव इकनामिक थाट, केंसीयन इकनामिक्स। (उदयनारायण पांडेय)