कूविए जार्ज लिओपोल क्रेतीं फ्रेदरिक डागोबेर विश्वविख्यात फ्रांसीसी जीवशास्त्री। इनका जन्म २३ अगस्त, १७६९ ई. को मौत विलिमार में हुआ था। स्तुतगार अकादमी में शिक्षा प्राप्तकर सन् १७९५ में पेरिस के नैचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में तुलनात्मक शरीर रचना के प्रोफेसर के सहायक के पद पर नियुक्त हुए। एक साल बाद इन्होंने इकोल सैंत्राल दु पॉथियों (Ecole Centrale du Pantheon) में व्याख्यान देना आरंभ किया और नेशनल इन्स्ट्यूिट के उद्घाटन के अवसर पर इन्होंने पुराजैविकी पर अपना पहला लेख पढ़ा। १८९८ ई. में इनका जीवजगत् का वर्गीकरण ताब्लो एलाँमांतेर द लिस्त्वार नातुरेल देज़ानिमो (Tableau elementaire de I histoire naturelle des animaux) में प्रकाशित हुआ। १७९९ ई. में इनकी नियुक्ति कोलेज्झ द फ्रांस (College de France) में प्राकृतिक इतिहास के प्रोफेसर के पद पर हुई। अगले वर्ष इनका महत्वपूर्ण ग्रंथ लेकोन दानातोमी कोंपारी (Lacons d anatomic Comparee) पाँच भागों में प्रकाशित हुआ। १८०२ ई. में वे ज्झार्दें दे पाँत (Jardin des Pentes) में (नाममात्र के) प्रोफेसर बनाए गए और सन् १८०३ में य नेशनल इन्स्ट्यूिट के भौतिकी और प्राकृतिक विज्ञान विभागों के स्थायी मंत्री चुने गए।

तदनंतर उन्होंने घोंघों, मछलियों, उरंगों तथा स्तनधारियों का विस्तृत अध्ययन किया। इनके इस अथक परिश्रम के परिणाम रिसर्च सूर ले ओस्सामाँ फ़ासिल द काद्रूपेद (Recherches sur-les Ossements Fossiles de quadrupedes) और दिस्कूर सूर ले रवोलूत्सियों द ला सुर्फास दु ग्लोब (Discours sur les revolutions de la surface du globe) नामक ग्रंथ हैं। जीवों और पुराजीवों पर की गई अपनी गवेषणाओं को इन्होंने १८२९-३० में ल रिन्ये अनिमाल दिस्त्रिबू दाप्रे सों ओर्गानिज़ात्सियों (Le Rigne animal distribue d apres son organisation) के नाम से संकलितकर प्रकाशित किया, जिसके द्वितीय संस्करण के पाँच भाग हैं। उनके कार्यों की महत्ता का अनुमान इसी बात से किया जा सकता है कि उनको पृष्ठवंशी पुराजैविकी वेर्तेब्राली पालिओंतॉलोजी (Vertebrali Paleontology) का जन्मदाता कहा जाता है।

१८०८ ई. में नेपोलियन ने इंपीरियल यूनिवर्सिंटी की काउंसिल में उनको नियुक्त किया। बाद में वे स्टेट काउंसिल में भी प्रतिष्ठित किए गए और विश्वविद्यालय के चांसलर चुने गए। १८१९ ई. में वे आंतरिक समिति के सभापति नियुक्त हुए। १८२६ ई. में उन्हें लीजन ऑव ऑनर (Legion of Honour) का सम्मान मिला। १८३१ ई. में लुई फिलिप ने उन्हें फ्रांस के पियर (Peer) की उपाधि प्रदान की। तदनंतर ये स्टेट काउंसिल के सभापति नियुक्त हुए। १८३१ में गृह मंत्रालय (Ministry of Interior) में इनकी नियुक्ति हुई, पर उसी वर्ष थोड़े दिनों की बीमारी के बाद १३ मई को उनका देहावसान हो गया । (महाराजनारायण मेहरोत्रा)