कुरुविंद (कृत्रिम) कृत्रिम कुरुविंद पहले पहल १८३७ ई. में चूणित और निस्तप्त फिटकरी (ऐलम) और पोटेसियम सल्फेट के मिश्रण को ऊँचे ताप पर गरम करने से बना था। पीछे इसके बनाने की अनेक विधियाँ निकली, जिनसे कुरुविंद के अतिरिक्त कृत्रिम माणिक और नीलम भी बनने लगे। इनके निर्माण की चार मुख्य विधियाँ हैं-
(४) ऐल्यूमिनियम लवण के जलीय विलयन को एक बंद नली में ३५०० सें. पर, अथवा ऐल्यूमिनियम लवण के जलीय विलयन को यूरिया के साथ एक बंद नली में १८००-१९०० सें. पर गरम करने अथवा ऐल्यू-मिनियम फ्लोराइड को बोरिक अम्ल के साथ ताप पर विच्छेदित करने से भी कुरुविंद बनता है। ऐलकाली सल्फेट के आधिक्य में ऐल्यूमिनियम फास्फेट की उच्च ताप पर क्रिया से (ताप १४००० सें. से ऊँचा नहीं रहना चाहिए), अथवा क्रायोलाइट को भाप के प्रवाह में श्वेत ताप पर गरम करने से, कुरुविंद प्राप्त होता है।
क्षार ऐल्यूमिनेट और क्रोमियम आक्साइड के मिश्रण को क्लोरीन के प्रवाह में गरम करने से माणिक प्राप्त हुआ है। (फूलदेवसहाय वर्मा.)