कुंडेश्वर बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में टीकमगढ़ से ४ मील दक्षिण यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान। यहँ एक शिवमंदिर है जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि वह १५वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी। उन दिनों वहीं तुंगारण्य में श्रीवल्लभाचार्य श्रीमन्दभगवत की कथाा कह रहे थे। इस मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वे वहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया। कुंड में मिलने के कारण ही यह कुंडेश्वर कहा जाता है। शिवरात्रि, मकरसंक्रांति और बसंतपंचमी के अवसर पर वहां भारी मेला लगता है। (परमेश्वरीलाल गुप्त)