कीर्तिवर्मा (प्रथम) बादामी के चालुक्य वंश के नरेश। पुलकेशी प्रथम के पुत्र और उत्तराधिकारी थे। उन्होंने ५६६ ई. से ५९७ ई. तक राज्य किया और कई दृष्टियों से उन्हें चालुक्यों की राजनीतिक शक्ति का संस्थापक कहा जा सकता है। कदंबों को हराकर उनके कुछ प्रदेशों को उपने राज्य में मिला लिया तथा कोंकण स्थित मौर्यों एवं बेल्लारी तथा कुर्नूल के पास स्थित नलों को पराजित किया। यह भी कहा जाता है कि उनकी विजयी सेना ने उत्तर में बिहार और बंगाल तक तथा दक्षिण में चोल और पांड्य क्षेत्रों तक प्रयाण किया था। किंतु कदाचित् यह अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा हैं।

कीर्तिवर्मा (द्वितीय) चालुक्यों के अवनतिकाल के शासक। उनका राज्यकाल ७४४-५ से ७५४-५ ई. तक माना जाता हैं। उन्हें पांड्यों की उठती हुई शक्ति का सामना करना पड़ा था। पांड्यराज राजसिंह प्रथम से उनका संघर्ष हुआ; पांड्यराज की विजय हुई। इस प्रकार दक्षिण में चालुक्यों को पांड्यों के सम्मुख दबना पड़ा। इसी प्रकार उत्तर में उन्हें राष्ट्रकूटों का भी सामना करना पड़ा। राष्ट्रकूटों चालुक्यों को अपनी संप्रभु शक्ति के रूप में स्वीकार करते आ रहे थे, किंतु दंतिदुर्ग के समय उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ बढ़ गई। दंतिदुर्ग ने माही, नर्मदा और महानदी के कूलों को अपना विस्तारक्षेत्र बनाया और अपने को दक्षिणापथ का स्वामी (सम्राट) घोषित कर दिया। कीर्तिवर्मा द्वितीय को हराकर उसने बादामी (वातापीपुर) छीन लिया। इस प्रकार साम्राज्य शक्ति चालुक्यों के हाथों से निकल कर राष्ट्रकूटों के हाथ चली गई।

कीर्तिवर्मा (चंदेल) कालंजर का नरेश देववर्मा का छोटा भाई और विजयपाल का पुत्र जिसने १०६० से ११०० ई. तक शासन किया। कीर्तिवर्मा के पूर्व चंदेलों की राजनीतिक संप्रभुता चली गई थी, उन्हें कलचुरि शासक लक्ष्मीकरण के आक्रमणों के सामने अपमानित होना पड़ा था। कीर्तिवर्मा ने अपने सामंत गोपाल की सहायता से लक्ष्मीकर्ण को हराया। कृष्ण मिश्र रचित प्रबोधचंदोदय नामक संस्कृत नाटक में चेदिराज के विरुद्ध गोपाल के युद्धों और विजयों का उल्लेख है। उसमें कहा गया है कि गोपाल ने नृपतितिलक कीर्तिवर्मा को पृथ्वी के साम्राज्य का स्वामी बनाया तथा उनके दिग्विजयव्यापार में शामिल हुआ। चंदेलों के अभिलेखों से भी लक्ष्मीकर्ण के विरुद्ध कीर्तिवर्मा की विजयों की जानकारी प्राप्त होती हैं। किंतु दोनों के बीच हुए युद्ध का ठीक-ठीक समय निश्चित नहीं किया जा सका है। (वाुिद्धनंद पाठक.)