काली सिंध नदी मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की सीमा पर बहने-वाली चंबल नदी की एक शाखा। इसका उद्गम विंध्याचल की उत्तरी ढाल पर २२रू ३६व् उ.अ. तथा ७६रू २५व् पू.दे. पर बरझिरी ग्राम में है। अपने प्रथम १८० मील में यह मुख्यत: मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में तथा उसकी पूर्वी सीमा पर उत्तर की ओर बहती है। उसके पश्चात् यह ४५ मील और बहकर राजस्थान के कोटा जिले में पिपरा के पास २५रू ३२व् उ.अ. तथा ७६रू १९व् पू.दे. पर चंबल नदी में मिल जाती है। काली सिंध की चार मुख्य शाखाएँ हैं, मध्य प्रदेश में लकुंदर तथा राजस्थान में पारवान, उजर तथा अहू। काली सिंध की धारा शुष्क ऋतु में बहुत पतली हो जाती है, परंतु यह सदावाहिनी है। इसके ऊपरी भाग में जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया गया है। निचले भाग में किनारे बहुत ऊँचे होने के कारण ऐसा उपयोग अभी संभव नहीं हुआ है। भोपाल उज्जैन तथा बीना-कोटा रेलवे लाइनें काली सिंध को क्रमश: शाजापुर तथा कोटा जिलों में पुल द्वारा पार करती हैं। अनेक सड़कें भी पुल (कॉज़वे) द्वारा काली सिंध के पार जाती हैं। भारत के प्राचीन साहित्य में तथा अबुलफजल के वर्णन में काली सिंध को इस क्षेत्र की मुख्य नदियों में से एक कहा गया है। इसके तट पर सारंगपुर तथा गगरौन मुख्य स्थान हैं। (प्रे.चं.अ.)