कालीनिन, मिखाइल इवानोविच (१८७५-१९४६ ई.) रूस के एक छोटे से गाँव में इनका जन्म हुआ था और खेती से ही इनके कुटुंबियों का उदरनिर्वाह होता था। किंतु अपने साहस, बुद्धि और संगठन के बल से ये रूस के राजनीतिक जीवन की एक कड़ी बन गए। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गाँव की एक छोटी सी पाठशाला में पाई और गरीबी के कारण छोटी उम्र में ही इन्होंने युद्धसामग्री तैयार करनेवाले एक कारखाने में नौकरी कर ली। तत्पश्चात् १६ वर्ष की उम्र में ये सेंट पीटर्सबर्ग नौकरी के निमित्त पहुँचे। १८९८ में ये सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के सदस्य बन गए। यहीं से इनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ हुआ। इस राजनीतिक दल में मजदूरों की संख्या अधिक मात्रा में थी। अपने क्रांतिकारी और समाजवादी विचारों के कारण इन्हें कई बार जेल की यात्रा करनी पड़ी। विशेष रूप से जब-जब ये साइबेरिया भेजे गए तब-तब इन्हें बड़ी यातनाएँ भुगतनी पड़ीं। परंतु कारावास से छूटने पर ये अपना राजनीतिक कार्य पूर्ववत् करते रहे। १९१२ में जब इन्हें तीसरी बार साइबेरिया भेजा गया तब कालीनिन गुप्त रूप से वहाँ से भागकर सेंट पीटर्सबर्ग लौट आए। यहाँ पर ये अवैध रूप से रहे और अपना क्रांतिकारी कार्य पूर्ववत् करते रहे। फरवरी, १९१७ और अक्टूबर, १९१९ की रूसी क्रांति में इन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। १९१९ में कालीनिन रूसी साम्यवादी दल की केंद्रीय समिति के सभापति बनाए गए और १९३८ तक उक्त पद पर बने रहे। आजन्म ये पीड़ित किसानों के हितसाधन के लिए प्रयत्नशील रहे, जिनका ये प्रतिनिधित्व करते थे और जिनके लिए खुले रहते थे और ये बड़ी सहानुभूति थी। इनके द्वार सदा ही किसानों के लिए खुले रहते थे और ये बड़ी सहृदयता से उनकी समस्या समझने और सुलझाने का प्रयत्न किया करते थे। १९३८ से १९४६ तक ये सर्वोच्च सोवियत की स्थायी समिति के अध्यक्ष थे। १९४६ ई. में मास्को में इनका देहांत हो गया। (शु.ते.)