कार्बोनिक अम्ल और कोर्बोनेट पानी तथा कार्बन डाइ-आक्साइड की क्रिया से कार्बोनिक अम्ल बनता है। कार्बन डाइ-आक्साइड गैस पानी में घुलती है तथा दाब बढ़ाने पर इसकी विलेयता बढ़ जाती हे। विलयन को गरम कर घुली हुई गैस अंशत: अथवा पूर्णत: बाहर निकाली जा सकती है। इस विलयन में हल्का अम्लीय स्वाद होता है तथा इससे नीला लिटमस लाल होता है। कार्बोनिक अम्ल द्विसमाक्षारीय (Dibasic) है और दो स्तरों में विघटित होता है :

H2 CO3 H+ HCO3; HCO3 H+ CO3

यह अम्ल निर्बल है तथा उपर्युक्त दोनों स्तरों के आयन विघटन का साम्य स्थिरांक क्रमश: ३.०४१०-७ (१८सें. पर) तथा ६.४१०-११ (२५ से. पर) है। इसी कारण सबल क्षार से बने इसके लवण जल विश्लेषित होते हैं और जलीय विलयन क्षारीय होता है।

इस अम्ल से दो प्रकार के लवण प्राप्त होते हैं : साधारण कार्बोनेट, जैसे Na2 CO3, CaCO3 तथा बाइकार्बोनेट अथवा ऐसिड कार्बोनेट, जैसे Na HCO3, Ca (HCO3)2

कार्बोनेट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बहुत सी धातुओं के कार्बोनेट तो खनिज रूप में में भी मिलते हैं, जैसे विदराइट Ba CO3, अल्स्टोनाइट Ba CO3, CO3, स्ट्रांटियानाइट Sr CO3, कैलसाइट, अरागोनाइट, डोलोमाइट MgCO3, CaCO3, मलाकाइट CuCO3, Cu ( OH)2, अजूराइट 2Cu CO3, Cu ( OH)2, सेरूसाइट PbC O2 इत्यादि।

अधिकतर धातुएँ कार्बोनेट बनाती हैं। इनमें बहुत से कार्बोनेट सफेद रंग के हाते हैं परंतु कुछ रंगीन भी हाते हैं, जैसे ताँबे का (नीला, हरा), निकल का (हरा) इत्यादि। इनमें कुछ तो क्षारीय कार्बोनेट होते हैं, जैसे Cu CO3. Cu ( OH)2 तथा अन्य साधारण अथवा बाइकार्बोनेट। अधिकतर धातुओं में कार्बोनेट पानी में अविलेय होते हैं। इस प्रकार के कुछ कार्बोनेट विलेय लवण के जलीय विलयन से विलेय (अलकली) कार्बोनेट की क्रिया द्वारा सरलता से प्राप्त किए जा सकते हैं। चूने के पानी से भी कार्बन-डाइआक्साइड गैस प्रवाहित करने पर कैलसियम कार्बोनेट प्राप्त होता है, जो गैस की अधिक मात्रा होने पर पुन: बाइ-कार्बोनेट बनने से घुल जाता है।

गरम करने पर कार्बोनेट का साधारणतया विघटन होता है जिसमें कार्बन डाइ-आक्साइड गैस प्राप्त होती है। अम्ल की क्रिया से भी यह गैस मिलती है तथा अम्ल से संबंधित लवण बनता है। कार्बन डाइ-आक्साइड गैस की आवश्यकता इन्हीं क्रियाओं द्वारा पूरी की जाती हैं।

परकार्बोनेटपोटैशियम कार्बोनेट के संतृप्त विलयन को १० से १५सें. पर विद्युद्विश्लेषण करने में धनाग्र आक्सीकरण से हल्के-नीले-सफेद रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। इसे ठंडे पानी द्वारा शीघ्रता से धोकर तथा फ़ास्फ़ोरस पेंटाक्साइड पर सुखाकर पोटैशियम पर-कार्बोनेट H2 C2 O6 प्राप्त किया जा सकता है।

यह सूखा रखने से साधारण ताप पर पर्याप्त स्थायी है, परंतु पानी द्वारा इसका विघटन होता है जिससे आक्सीजन निकलता है। यह पोटैशियम आयोडाइड से आयोडीन तुरंत ही मुक्त करता है। ऐल्कोहल तथा पोटैशियम पराक्साइड पर कार्बन डाइ-आक्साइड की क्रिया से एक अन्य प्रकार का पोटैशियम परकार्बोनेट मिलता है जो विद्युद्विश्लेषण से प्राप्त लवण से पोटैशियम आयोडाइड की क्रिया में भिन्नता रखता है।

सोडियम पराक्साइड और ऐल्कोहल पर कार्बन डाइ-आक्साइड की क्रिया से प्राप्त सोडियम परकार्बोनेट Na2 C2 O6 फिर सोडियम पराक्साइड से संयुक्त होने पर सोडियम पर-मोनो-कार्बोनेट Na2 C2 O4 बनाता है।

सं.ग्रं.'कार्बन डाइ-सल्फ़ाइड' में उल्लिखित ग्रंथ द्र.। (विं.वा.प्र.)