कार्तवीर्य हैहयनरेश कृतवीर्य का पुत्र और माहिष्मती नगरी का राजा सहस्रबाहु अर्जुन। यह भृंगुवंशियों का यजमान था। ख्यातों के अनुसार मटखीय के पुत्र ब्रह्मर्षि जमदग्नि का वध कार्तवीर्य के पुत्रों ने कर दिया था (म.भा.; वन. ११६-१८; शांति. ४९-५०)। जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने क्रूद्ध होकर कार्तवीर्य सहस्रार्जुन की सहस्र भुजाओं को काट डाला तथा कार्तवीर्य वंश का संहार कर डाला (वही, शांति. ४९-५२-५३)। कार्तवीर्य अत्यंत अत्याचारी राजा था (वही, वन. ११५-१२-१४)। दत्तात्रेय के वरदान पा चुकने के पश्चात् इसने अहंकारपूर्ण शब्दों में ब्राह्मण की अपेक्षा क्षत्रिय की श्रेष्ठता का प्रतिपादन किया (वही, अनु. १५२-१५-२२), किंतु वायुदेव के समझाने पर इसने ब्राह्मणों की महत्ता स्वीकार की (वही, अनु. १५७-२४-२६)। एक बार इसने अभिमानवश समुद्र को बाणों से आच्छादित कर दिया था। (चं.भा.पां.)