कारबार बंबई राज्य में इसी नाम की तहसील का मुख्य नगर है। इसकी स्थिति १४स् ४९व् उ.अ. तथा ७४स् ८व् पू.दे. है। यह गोवा से ५० मील दक्षिण-पश्चिम तथा बंबई से ३९५ मील दक्षिण-पूर्व में बसा है। प्राचनी कारबार नगर काली नदी पर नगर से तीन मील पूर्व की ओर बसा था। व्यापार की दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण था।

१७वीं शताब्दी के मध्य बीजापुर राज्य के कोई प्रमुख अधिकारी कारबार के राजस्व अधीक्षक हुआ करते थे। सन् १६६० में यहाँ से अच्छी किस्म की मलमल का निर्यात प्रारंभ हो गया था, पर शीघ्र ही सन् १६७२ ई. में आंतरिक उलझनों के फलस्वरूप कारखानों को काफी क्षति उठानी पड़ी।

१७वीं शताब्दी के अंतिम दस वर्षों में डच लोगों ने कारबार को अपने अधिकार में कर लिया और प्राचीन व्यापार को नष्ट कर डाला। इसी काल में मराठों द्वारा यहाँ सदाशिवगढ़ की स्थापना हुई, पर ये भी अधिक दिनों तक राज्य न कर सके और कारबार पुर्तगालियों के अधीन हो गया।

नए नगर का प्रादुर्भाव बंबई राज्य के हस्तांतरण के बाद हुआ। इसके पहले यह मछली पकड़ने का एक साधारण ग्राम था। वर्तमान नगर छह ग्रामों से संगठन से बना है। यहाँ नगरपालिका भी है। अब इसका संबंध बंबई से रेलों एवं स्टीमरों द्वारा हो गया है। (वि.रा.सिं.)