कामधेनु एक गाय जो प्राचेतस् दक्षप्रजापति एवं अश्विनी की पुत्री मानी जाती है। महाभारत (आदिपर्व, १८.३७, गीता प्रेस) में उल्लेख है कि समुद्रमंथन से प्राप्त १४ रत्नों में कामधेनु (सुरभि) भी थी। इसी ग्रंथ में अन्यत्र (अनुशासन पर्व, ७७.१७) प्रजापति के सुरभि-गंध-युक्त श्वास से सुरभि (कामधेनु) की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है। कामधेनु बड़ी हुई तो इसके थनों से पृथ्वी पर दूध टपकने लगा, जिससे क्षीरसागर की उत्पत्ति हुई। कामधेनु का निवास गोलोक में माना जाता है। गोलोक स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है। ब्रह्मा की उपासना कर कामधेनु ने अमरत्व प्राप्त किया था। कश्यप ऋषि से इसे नंदिनी नामक कन्या हुई थी जो बाद में वसिष्ठ ऋषि की होमधेनु बनी। संसार की समस्त गउओं और बैलों की जननी कामधेनु ही मानी जाती है। कार्तिकेय को इसने एक लाख गायें भेंट दी थीं। कामधेनु की चार पुत्रियाँ चार दिशओं की प्रतिपालक मानी जाती है—१. सुरूपा (पूर्व दिशा), २. हंसिका (दक्षिण दिशा), ३. सुभद्रा (पश्चिम दिशा) तथा ४. सर्वकामदुधा (उत्तर दिशा)। (कै.चं.श.)